विएना में 29 नवंबर को ‘ज्वाइंट काम्प्रीहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन’ या जेसीपीओए के नाम से पहचाने जाने वाले परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के बीच वार्ता शुरू हुई. लेकिन तेहरान की नयी मांगों को लेकर इस दौर की वार्ता तनावपूर्ण रही है. जिसके कारण विश्व शक्तियों के साथ 2015 में हुए ईरान के परमाणु समझौते को बचाने के लिए चल रही वार्ता शुक्रवार को स्थगित कर दी गयी ताकि ईरानी वार्ताकार स्वदेश जाकर विचार-विमर्श कर सकें.
फिलहाल ईरान में कट्टरपंथी जमात के द्वारा शासन किया जा रहा है. वे लोग इस्लामिक विचारधारा को सर्वप्रथम दर्जा देते है. इसके बाद विज्ञान के द्वारा अविष्कार के किये गये उपायों को लागू करने की चाहत भी रखते है. इससे पहले ईरान में कट्टरपंथी नयी सरकार के आने के कारण पांच महीने से अधिक समय तक वार्ता रुकी रही. प्रतिनिधिमंडलों के अपनी सरकारों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए स्वदेश लौटने के कारण भी पिछले हफ्ते वार्ता में संक्षित विराम आया.
यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने कहा कि यह निराशाजनक है
यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने कहा कि यह निराशाजनक है और विएना में वार्ताकार ‘तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।” हालांकि, उन्होंने अभी तक ”कुछ तकनीकी प्रगति” करने की ओर इशारा किया है.
वार्ता में शामिल एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने निराशा जतायी. अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पत्रकारों से कहा, ”यह जितना हो सकता था उससे बेहतर था, जितना होना चाहिए था उससे बदतर था, जिससे हम एक अनिश्चित स्थिति में पहुंच गए हैं कि क्या हम कम समय में अपने लक्ष्य पर पहुंच सकते हैं.”
वार्ता में भाग लेने वाले लोगों ने कहा कि उनका उद्देश्य जल्द से जल्द वार्ता बहाल करना है हालांकि, उन्होंने इसके लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की है. चीन के मुख्य वार्ताकार वान कुन ने कहा कि ”उम्मीद है कि इस साल के अंत से पहले वार्ता बहाल हो जाएगी।” वार्ता की अध्यक्षता करने वाले यूरोपीय संघ के राजनयिक एनरिक मोरा ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि 2021 में ही वार्ता होगी।”
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