93 हजार युद्ध बंदी होने के बावजूद भारत ने पाक से कोई बारगेनिंग नहीं की, यह एक बड़ी भूल थी-विज
अकसर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने विजय दिवस पर एक बार फिर एक विवादित ट्वीट किया है। उन्होंने शिमला समझौते पर सवाल उठाते हुए लिखा है, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सैनिकों द्वारा जीती गई जंग को राजनेताओं ने टेबल पर हार दी थी। हमारे पास 93 हजार युद्ध बंदी होने के बावजूद कोई बारगेनिंग नहीं की गई। हम इनको छोड़ने के बदले पीओके ले सकते थे। यह हमारी बहुत बड़ी भूल थी, जिसे आज तक हम भुगत रहे हैं।“
ज्ञातव्य है कि भारत को 16 दिसंबर’ 1971 को भारत-पाक युद्ध में ऐतिहासिक जीत मिली थी, इसलिए आज का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्या है शिमला समझौता ?
वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद उनके 93 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार के लिए पाक युद्ध बंदियों को छुड़ाने की कवायद शुरू हुई। फिर दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। इसी समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। शिमला समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे।
लगता है भाजपा के नेताओं में इतिहास को बदलने की धुन सवार हो गई है. हर बात में, बात-बात पर खोट निकालने की उनकी जैसे आदत बनती जा रही है. इसका तात्पर्य यह, कि उन दिनों के राजनेता इनके जैसे काबिल नहीं थे. उन्हें बारगेन करना नहीं आया. कूटनीतिक संबंधों में पिछले 7 सालों में कितनी प्रगति हुई है, यह किसी से छुपी नहीं है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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