नई दिल्ली: हमास के लड़ाके इजरायल के क़रीब 150 लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए हैं। हमास के लड़ाके शहर के नीचे बिछी सुरंगों में छिपे हैं और यह भी माना जा रहा है कि बंधकों को भी उन्होंने यहीं रखा है। हमास आखिर इतनी संख्या में बंदी क्यों बना रखा है और इससे वह क्या हासिल करना चाहता है। दरअसल हमास को के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड का समर्थन हासिल है और वह इसे पैसा, हथियार और प्रशिक्षण देती है। इस आर्म्ड ग्रुप की स्थापना 1979 में ईरानी क्रांति की सफलता के बाद की गई थी। इस मकसद मकसद था देश में इस्लामी तंत्र की रक्षा करना बताया गया था।
ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड के अधिकारी हमास से मिल कर कई महीनों से इजरायल पर हवा, जमीन और समुद्र में हमले की योजना बना रहे थे। हमास ने कड़े प्रशिक्षण के बाद इजरायल के अभेद्य माने जाने वाले सुरक्षा कवच में सेंध लगाकर सैकड़ों लोगों को मार डाला और कई लोगों को बंदी बनाकर साथ ले गए। हमास के आतंकी सभी को मार सकते थे लेकिन उनकी बंधक बनाने की योजना ईरान की तरह ही दिखाई देती है। ईरान, बंधकों का कूटनीतिक उपयोग कर आर्थिक फायदे उठाने के लिए बदनाम रहा है।
ईरान ने अमेरिका को झुकाया, लिए अरबों डॉलर साल 1979 में हुई ईरान की धार्मिक क्रांति के बाद अमेरिकी दूतावास में धावा बोलकर 52 अमेरिकियों को बंदी बना लिया गया था। ईरान ने करीब सवा साल तक इन्हें अपनी हिरासत में रखने के बाद अमेरिका से 8 अरब डॉलर लेकर इन्हें रिहा किया था। एक बार फिर ईरान ने साल 2015 में अमेरिका के 5 नागरिकों को बंदी बना लिया और उन्हें इस साल छोड़ा है। इसके एवज में भी अमेरिका को ईरान के जब्त किए गए 6 अरब डॉलर लौटाने को मजबूर होना पड़ा है।
यह भी दिलचस्प है कि इस साल 17 अप्रैल को कब्जे वाले वेस्ट बैंक के नब्लस शहर में सैकड़ों फिलिस्तीनी जुटे,उनके हाथों में कई तख्तियां थी जिसमें अलग- अलग तस्वीर लगी हुई थी। ये उन लोगों की तस्वीरें थीं जो इजरायली हिरासत में हैं और उनके प्रति एकजुटता दिखाने के लिए इस रैली का आयोजन किया गया था। वर्तमान में इजरायली सलाखों के पीछे फ़िलिस्तीनियों की संख्या करीब पांच हजार है।
हमास इजरायल की जेलों में बंद फिलिस्तीनियों की रिहाई के लिए इजरायल को मजबूर कर सकता है। यहीं नहीं वह इजरायल से मोटी रकम भी वसूल कर सकता है। कतर, मिस्र तथा कुछ और देश पर्दे के पीछे से इनमें से कुछ बंधकों की रिहाई की कोशिशें तो कर रहे हैं। लेकिन हमास की गुरिल्ला रणनीति और खतरनाक मंसूबों से फिलहाल बंधक संकट सुलझता नहीं दिख रहा है। लेखक डॉक्टर ब्रह्मदीप अलूने अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार
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