वैज्ञानिकों ने बताया कि उस समय 6.60 करोड़ साल पहले जिस एस्टेरॉयड ने डायनासोरों को मारा था. उस समय के जीवाश्म में कोई ऐसा सबूत नहीं मिला है, जिससे यह पता चलता हो कि प्लैसेंटल मैमल होते थे. प्लैसेंटल मैमल को ही इंसानों का शुरुआती पूर्वज माना जाता था. वैज्ञानिकों ने जब जीवों की उत्पत्ति और खात्मे की स्टडी तो ये बात और पुख्ता हो गई कि इंसानों के पूर्वज यानी प्लैसेंटल मैमल्स उस समय डायनासोरों के साथ घूमते थे. लेकिन यह बेहद कम समय के लिए था. सबसे बड़ा सवाल ये था कि डायनासोरों के मरने से पहले या बाद में इंसानों के पूर्वज विकसित हुए. या फिर उनके साथ रहते थे.
इंग्लैंड स्थित ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और स्विट्जरलैंड के फ्रिबोर्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब खोज लिया है. दुनिया में बहुत कम ही जीव मरने के बाद जीवाश्म बन पाते हैं. ज्यादातर तो नष्ट हो जाते हैं. प्लैसेंटल मैमल्स के जीवाश्म का कोई भी दस्तावेज नहीं मौजूद है. न ही कोई जीवाश्म मौजूद है. इसलिए आपको इनकी स्टडी के लिए जीवाश्मों के पुराने डेटा पर ही नजर रखनी पड़ेगी. डेटा स्टडी करने बाद पता चला कि उस समय 380 प्लैसेंटल मैमल्स के परिवार थे इनमें से 21.3 फीसदी डायनासोर के समय मौजूद थे. इनके विकास से ही वानर, प्राइमेट, एप, कुत्ते, बिल्लियां, खरगोश और घोड़े बने.
फ्रिबोर्ग यूनिवर्सिटी के इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट डैनियल सिलवेस्ट्रो ने कहा कि हमने प्लैसेंटल मैमल्स के वंश की शुरुआती तस्वीर खींचने की कोशिश की है. हमने शुरुआत का पता भी कर लिया है. हमारा डेटा अब तक सही है. हम इसके साथ ही किसी भी जीव के विलुप्त होने की नजदीकी तारीख या साल का पता लगा सकते हैं. लेकिन जीवाश्मों की जांच के दौरान मॉलीक्यूलर क्लॉक डेटा से यह पता चला है कि इनका वंश डायनासोर के समय मौजूद था. वो डायनासोर के साथ घूमते थे. मॉलीक्यूलर क्लॉक डेटा से प्राचीन समय के जीन्स के अवशेषों की स्टडी करके उस समय के जीवों का पता लगाया जाता है.
नए स्टैटिस्टिकल एनालिसिस करने पर यह पता चला कि इंसानों के सबसे पुराने पूर्वज यानी प्लैसेंटल मैमल्स डायनासोर के समय मौजूद थे. उनके साथ क्रेटासियस काल में घूमते थे. लेकिन ऐसा बेहद ही कम समय के लिए हुआ था. ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की पैलियोबायोलॉजिस्ट एमिली कार्लीस्ले ने कहा कि हमने हजारों सालों पुराने जीवाश्मों का अध्ययन किया. प्लैसेंटल मैमल्स के शुरुआती जीवों की जानकारी जमाई. तब जाकर इनकी उत्पत्ति और खात्मे का पता चल पाया. इसके जरिए हम प्लैसेंटल मैमल्स के विकास का पता लगा सकते हैं.
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