मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने जिले के कुमडीह में सिदो- कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि
राजनगर में हूल विद्रोह के महानायक सिदो कान्हू की प्रतिमा का अनावरण कर किया नमन
हूल दिवस पर झारखंड के अमर वीर शहीदों को शत-शत नमन
झारखंड वीरों और अमर शहीदों की धरती है। राज्य का कोई ऐसा कोना नहीं है जहां से अन्याय, शोषण और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह ना हुआ हो। संताल में सिदो -कान्हू के नेतृत्व में आदिवासियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंका था, तो बिरसा मुंडा के नेतृत्व में उलगुलान और कोल विद्रोह ने अंग्रेजों की जड़े दिला थी। इसी तरह और भी कई आंदोलन हुए, जिसमें यहां के अनेकों वीरों ने अपनी शहादत दे दी थी । आज हूल दिवस के अवसर पर हम अपने इन महानायकों और वीर शहीदों के संघर्ष को याद कर उन्हें नमन करते हैं। मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन रविवार को सरायकेला – खरसवां जिले के कुमडीह और राजनगर में हूल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने अमर वीर शहीद सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
कई नई योजनाओं को लेकर आपके बीच आ रहे हैं -चंपई सोरेन
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के हित में राज्य सरकार कई नई योजनाओं को लेकर आ रही है । आने वाले 1 से 2 महीने में इन योजनाओं के माध्यम से यहां की लोगों को हम सशक्त बनाएंगे । मुख्यमंत्री ने कहा कि अब राज्य के लोगों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त में मिलेगी तो 25 से 50 वर्ष तक की बहन- बेटियों को आर्थिक सहायता देने जा रही है। स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत राशन कार्डधारियों को 15 लाख रुपए तक के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी ।
जो हम कहते हैं उसे करके दिखाते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम जो कहते हैं, उसे करके दिखाते हैं। हमारी योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं। आज जंगलों -पहाड़ों और दूर दराज के इलाकों में रहने वाले समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक सरकार की योजनाएं पहुंच रही हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार समेत सभी क्षेत्र के लिए सरकार योजनाएं लेकर आई है । आप इन योजनाओं का लाभ लें और राज्य को आगे बढ़ाने में अपनी भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में विपरीत और कठिन चुनौतियों के बीच हमारी सरकार ने विकास के जो कार्य किए हैं, वह इस राज्य के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है।’
जल -जंगल- जमीन के साथ अपनी कला संस्कृति, परंपरा और भाषा को बचाना है, आगे ले जाना है
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारे पूर्वजों ने जल- जंगल -जमीन की खातिर लंबी लड़ाई लड़ी थी। इसी वजह से अंग्रेजों को सीएनटी और एसपीटी एक्ट लाना पड़ा था। आज एक बार फिर जल- जंगल- जमीन के साथ यहां की कला- संस्कृति, भाषा और परंपरा को मिटाने की साजिश रची जा रही है। यह हमारी पहचान और अस्मिता से जुड़ा है। ऐसे में इसे बचाने और आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पूरी ताकत के साथ काम कर रही है।’
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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