मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीदों को किया नमन, कहा-बनेगा विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज, 1 जनवरी को जिला अंतर्गत खरसावां स्थित शहीद पार्क में सन 1948 के गोलीकांड में शहीद हुए तमाम लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया। इस दौरान उन्होंने शहीद पार्क के लिए 16.50 करोड़ की योजना की स्वीकृति दिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसे विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कार्य किया जाएगा। यहां पर एक मल्टीपरपस हॉल का भी निर्माण किया जाएगा।
कई मंत्री, स्थानीय सांसद व विधायक भी थे मौजूद
इस अवसर पर उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, चम्पई सोरेन, मांझी, सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, ईचागढ़ की विधायक सविता महतो, चाईबासा के विधायक दीपक बिरुआ, मझगांव के विधायक नीरल पूर्ति, खरसावां के विधायक दशरथ गागराई, जिले और प्रखंड के तमाम पदाधिकारी एवं आदिवासी समुदाय एवं अन्य लोग मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने शहीदों को समुचित सम्मान और मुआवजा देने की बात कही
मुख्यमंत्री ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने शहीदों को सम्मान देने के प्रति कभी गंभीरता नहीं दिखाई। वर्तमान सरकार राज्य के शहीदों को चिन्हित करने के लिए ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रही है। आगे बहुत जल्द ही सम्बद्ध आयोग द्वारा शहीदों को चिन्हित कर उन्हें समुचित सम्मान और मुआवजा देने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी शहीदों को किया नमन
इससे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी खरसावां शहीद स्थल पहुंचकर शहीदों को नमन किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय मंत्रालय द्वारा आज़ादी आन्दोलन में शहीद हुए जनजातीय समुदाय के लोगों का डाटा तैयार किया जा रहा है। इससे उनकी शहादत के बारे में देश भर के लोग ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया जान सके।
“1948 के गोलीकांड में हज़ारों लोग मारे गए थे”-कहते हैं स्थानीय
विदित हो कि 1 जनवरी 1948 को खरसावां के हाट में अस्मिता को लेकर एक जनसभा का आयोजन किया गया था, जिसमें निहत्थे आदिवासियों पर ओडिशा पुलिस द्वारा अंधाधुंध गोलिया बरसाई गई थी। इस गोलीकांड में हज़ारों लोग मारे गए थे। आज़ादी के बाद की यह सबसे बड़ी बर्बरतापूर्ण पुलिसिया कारवाई थी। जहां अभी शहीद-वेदी बनाई गई है, वहीं एक कुआं था, जिसमें मारे गए लोगों के शवों को डाल दिया गया था। तभी से वहां के लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। विधिवत वह हो समाज के दिउरी द्वारा दिवंगतों की आत्मा की तृप्ति के लिए तेल अर्पित किया जाता है। वर्तमान में इसे प्रशासनिक स्तर पर भव्य तरीके से संपन्न किया जाता है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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