भारत की आज़ादी में शान्तिमय धारा और क्रान्तिकारी धारा
भारत की आज़ादी की गौरवशाली संघर्ष-गाथा के एक अविस्मरणीय पन्ने – ‘काकोरी के शहीदों की याद’ में एक विचार-गोष्ठी का आयोजन यहाँ रामगढ़ में किया गया। ज्ञातव्य है कि 9 अगस्त 1925 को काकोरी में क्रान्तिकारियों द्वारा ट्रेन से सरकारी खजाने को हस्तगत करने की घटना के सन्दर्भ में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने क्रान्तिकारियों को सजा सुनाई थी, जिसके तहत रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफ़ाकउल्ला, और रौशन सिंह को 19 दिसम्बर 1927 को, और उसके दो दिन पहले ही राजेन्द्र प्रसाद लाहिड़ी को फाँसी दी गई थी।
अलग-अलग बाँटकर आज़ादी के संघर्ष की पूरी तस्वीर नहीं बनाई जा सकती-अशोक
रामगढ़ कॉलेज के निकट स्थित आभा ‘मुख़्तलिफ़’ के आवास पर आयोजित इस विचार-गोष्ठी की शुरुआत करते हुए अशोक ने आज़ादी के संघर्ष की यशस्वी लम्बी बलिदानी परम्परा को याद करते हुए कहा कि भारत की आज़ादी में शान्तिमय धारा और क्रान्तिकारी धारा – इन दोनों धाराओं के संघर्ष का योगदान है, और उन्हें अलग-अलग बाँटकर आज़ादी के संघर्ष की पूरी तस्वीर नहीं बनाई जा सकती।
देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने का जज़्बा एक जैसा था-बसन्त हेतमसरिया
बसन्त हेतमसरिया ने काकोरी के शहीदों की याद करते हुए इस महत्वपूर्ण तथ्य को रेखांकित किया, कि आज़ादी के आन्दोलन के तरीकों में, और इसकी अगुवाई करनेवालों में जितनी विविधता रही है, वैसी दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं मिलती, लेकिन उन सबका लक्ष्य एक था- ब्रिटिश गुलामी से देश की आज़ादी; और इसके लिए उन सभी में देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने का जज़्बा एक जैसा था। उन्होंने अफ़सोस जताया कि आज के दौर में आज़ादी के शहीदों और सेनानियों को जातियों के खाँचे में बाँटकर देखने का शर्मनाक रवैया शुरू हो गया है।
गुलामी के बन्धन में जकड़ी मजबूर आम जनता को निडर होकर जनान्दोलन में…-बलराम सिंह
बलराम सिंह ने शहीदों को आदरांजलि देते हुए स्पष्ट किया कि आज़ादी के संघर्ष की दोनों मुख्य धाराएँ – शान्तिमय और क्रान्तिकारी – यक़ीनन एक-दूसरे की पूरक थीं। क्रान्तिकारी धारा जनमानस में देशप्रेम और आज़ादी की ज़बर्दस्त चाहत का जोश भर रही थी, वहीं शान्तिमय धारा गुलामी के बन्धन में जकड़ी मजबूर आम जनता को निडर होकर जनान्दोलन में भागीदारी का साहस दे रही थी। गणेश शंकर विद्यार्थी सरीखे शान्तिमय धारा के तमाम नेता क्रान्तिकारियों को संरक्षण और प्रोत्साहन दे रहे थे।
ईमानदारी से देश की चाहत रखना आज भी ज़रूरी-सुशील स्वतन्त्र
सुशील स्वतन्त्र ने कहा कि क्रान्तिकारी धारा ने देशप्रेम के जज़्बे को जितनी शिद्दत से सँजोया था, उतनी ही ईमानदारी से देश की चाहत रखना आज भी ज़रूरी है; लेकिन हम शहीदों की उन अमूल्य कुर्बानियों का आज के दौर में रोज़ अपमान होते देखते हैं। आज जिस तरह से असमानता, जाति-धर्म-सम्प्रदाय के खाँचों में बँटवारे, और नफ़रत की हिंसा सुलगाने-भड़काने की कोशिशें जारी हैं, उनके ख़िलाफ़ सभी जागरूक सचेत लोगों को एकजुट हो खड़े होने की ज़रूरत है।
आज के दौर में युवाओं को भी बताई जाय पीढ़ी को शहीदों की जीवनी
आभा मुख़्तलिफ़ ने शहीदों को भावांजलि देते हुए कहा कि आज़ादी के संघर्ष के तमाम नायक गुलामी से मुक्ति की सच्ची चाहत के साथ खड़े थे, इसीलिए वे निडर थे। आज के दौर में युवा-किशोर पीढ़ी तक आज़ादी के संघर्ष के ऐसे तमाम अविस्मरणीय पन्नों की जानकारी पहुँचाने की ज़रूरत है, जिससे वे सच, ईमानदारी और निडरता के उन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित हों, और किसी भी अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े होने का हौसला जुटा सकें।
Ghumantu Pustakalaya Yatra | Mashal News
..जिन्हें लगता है कि आज़ादी बहुत आसानी से मिल गई थी-राकेश
राकेश ने ध्यान दिलाया कि आज़ादी के बाद पैदा हुए लोगों में ऐसे बहुतेरे नाजानकार लोग हैं, जिन्हें लगता है कि आज़ादी बहुत आसानी से मिल गई थी। ऐसी नाजानकारी और मूल्यों के क्षरण के चलते आज़ादी के सेनानियों को जाति-धर्म के खाँचों में बाँटकर देखने और आँकने का तौर-तरीका शुरू हो गया है। राजू विश्वकर्मा का मानना था कि यदि क्रान्तिकारी धारा के सेनानियों के बीज हमारे अन्दर मौजूद हैं, तो पुरानी जड़ताओं और रूढ़ियों का खात्मा करना होगा। किसी भी नए निर्माण के लिए बहुतकुछ गैरज़रूरी पिछले क्रम को बदलना ही होता है।
घरों में आज़ादी के शहीदों-सेनानियों की तस्वीरें भी होनी चाहिए-डॉ. सीता
डॉ. सीता ने शहीदों की याद के साथ यह सबक लेने का ध्यान दिलाया कि जिस तरह तमाम घरों में आराध्यों की तस्वीरें और प्रतीक रखे जाने की परम्परा है; वैसे ही घरों में आज़ादी के शहीदों-सेनानियों की तस्वीरें भी होनी चाहिए, और घर में बच्चों को उनके बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
विचार-विमर्श में फ़ादर कर्मा कच्छप, डॉ. रजनी गुप्ता और अनीता आदि ने भी सक्रिय भागीदारी की। इस गोष्ठी में किशोर और बच्चे भी शामिल थे। विचार-गोष्ठी इस आम सहमति के साथ सम्पन्न हुई कि लोगों, ख़ासकर युवाओं और किशोरों के बीच हमारी आज़ादी के संघर्ष की ऐसी तमाम जानकारियाँ परचों, विद्यालयीय कार्यक्रमों और सांस्कृतिक माध्यमों के ज़रिए ले जाने की तैयारी की जानी चाहिए।
‘काकोरी के शहीदों की याद’ में इस विचार-गोष्ठी का आयोजन ‘लोकतान्त्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान’ के तहत किया गया। देश की तमाम जगहों पर इस सन्दर्भ में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।
रामगढ़: अरगडा में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के शहादत दिवस पर विचार सभा आयोजित
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!