इस अवसर पर एक नुक्कड़ सभा का भी आयोजन किया गया
हूल दिवस के अवसर पर आज रविवार को माकपा कार्यकर्ताओं ने भुईयांडीह चौक स्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर एक नुक्कड़ सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने कहा कि 168 वर्ष पूर्व सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो के नेतृत्व में ऐतिहासिक संथाल विद्रोह (हूल) जो, सामुदायिक और सामूहिक स्वामित्व वाली जमीन पर जमींदारों और महाजनों द्वारा जबरन कब्जा के खिलाफ शुरू हुआ था , अंततः यह ब्रिटिश सेना के खिलाफ किसान विद्रोह में बदल गया और इस प्रकार यह सिपाही विद्रोह से भी पहले स्वतंत्रता आंदोलन का आगाज बन गया, जिसमें सिद्धू कान्हू समेत हजारों आदिवासी और अन्य गरीब शहीद हो गए थे।
संताल हूल की गौरवपूर्ण विरासत
सभा में यह भी कहा गया, ‘आज जब हम संताल हूल की गौरवपूर्ण विरासत को याद करते हैं, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संताल हूल और बिरसा मुंडा के उलगुलान के शानदार संघर्ष के चलते ही छोटानागपुर काश्तकारी कानून और संतालपरगना काश्तकारी कानून बना, जिसे यहां के आदिवासियों व अन्य गरीबों की जमीन का रक्षा कवच माना जाता है । आज देश के शासक वर्ग की मदद से यहां के बड़े पूंजीपतियों द्वारा झारखंड समेत अन्य राज्यों के आदिवासी बहुल इलाकों के प्राकृतिक संसाधनों और खनिज सम्पदा की लूट के लिए इन कानूनों को कमजोर करने के साथ – साथ संविधान के 5 वीं अनुसूची के तहत यहां के लोगों के लिए दिए गए संवैधानिक प्रावधानों और ग्रामसभाओं के अधिकारों को भी कमजोर कर रहा है।’
संघर्षों को और तेज करना होगा
वक्ताओं ने कहा, ‘झारखंड के मेहनतकशों को संताल हूल की गौरवपूर्ण विरासत को याद करते हुए संविधान की पांचवीं अनुसूची, काश्तकारी कानूनों, जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए चल रहे संघर्षों को और तेज करना होगा, ताकि साम्राज्यवादी षड्यंत्र, सामंती शोषण एवं कॉर्पोरेट परस्त नीति निर्माताओं के षड्यंत्रों और हमलों का निर्णायक रूप से प्रतिरोध किया जा सके।
इस अवसर पर माकपा जिला सचिव जेपी सिंह और अन्य पार्टी नेताओं, जया मजूमदार, विश्वजीत देब, जे. मजूमदार, एस.के. उपाध्याय, मिठू भट्टाचार्य, एल. गांगुली, ए. मजूमदार, आर. भट्टाचार्य, सहित कई पार्टी सदस्य और समर्थक मौजूद थे।
हुल दिवस पर विशेष : संथाल हुल विद्रोह के ऐतिहासिक मायने और वर्त्तमान सन्दर्भ में उसकी महत्ता
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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