हमें तमाम शहीदों के सपनों को पूरा करना है और राज्य सरकार उस दिशा में कार्य कर रही है-चम्पई
खरसवां शहीद स्थल पर इस साल भी लोगों की भीड़ उमड़ी. इस बार तो पिछले सालों की बनिस्पत ज्यादा लोग पहुंचे और शहीदों को नमन किया, लेकिन जिनके आगमन की सबसे ज्यादा लोगों को प्रतीक्षा थी, वे नहीं आए. जी हां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन किन्हीं कारणों से नहीं आ सके. इस अवसर पर मंत्री चम्पई सोरेन ने मुख्य रूप से उपस्थिति दर्ज़ कराई. उनके अलावे स्थानीय विधायक दशरथ गागराई, दीपक बिरुआ, सुखराम उरांव, ज़िला परिषद् अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, वृहत झारखण्ड जनाधिकार मंच के बिरसा सोय, टाइगर जयराम महतो समेत विभिन्न राजनीतिक और सामजिक संगठनों ने शहीद स्थल पर पहुंचकर अपने शीश झुकाए.
इस अवसर पर चम्पई सोरेन ने कहा कि शहीदों से प्रेरणा लेकर ही गुरूजी की अगुआई में झारखण्ड अलग राज्य का आन्दोलन जोर पकड़ा और अंततः यह राज्य वजूद में आया. कहा, “हमारे पूर्वजों ने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया और फिर आगे भी संघर्ष का इतिहास रहा है. हमें तमाम शहीदों के सपनों को पूरा करना है और राज्य सरकार उस दिशा में कार्य कर रही है.
टाइगर जयराम महतो ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ किया शहीदों को नमन
शहीद दिवस के अवसर पर ख़ास तौर पर झारखण्ड भाषा खतियान संघर्ष समिति के सैकड़ों सक्रिय कार्यकर्ताओं ने टाइगर जयराम महतो के नेतृत्व में शहीद स्थल पर आकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. टाइगर जयराम के समर्थक सुबह से ही आकर्षनी में जुटने लगे थे. इसके बाद अपने समर्थकों की ऐतिहासिक भीड़ के साथ शहीद स्थल पहुंचे. हालांकि कुछ दिन पूर्व यह बात फ़ैली थी कि टाइगर जयराम महतो को शहीद स्थल नहीं आने दिया जाएगा. कोल्हान आदिवासी मंच ने उपायुक्त को इस आशय का पत्र लिखकर आशंका जताई थी, कि साल 2017 की पुनरावृत्ति न हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और शांतिपूर्ण व सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सभी ने शहीद वेदी पर माथा टेका और उनको नमन किया.
हमारा लक्ष्य है वृहद् झारखण्ड-बिरसा सोय
इस क्रम में सूबे की पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव भी आईं और शहीदों को नमन किया. उन्होंने कहा, झारखण्ड अलग होने के बाद भी खरसवां के शहीदों को न्याय नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है. वहीं वृहत झारखण्ड जनाधिकार मंच के अध्यक्ष बिरसा सोय ने कहा, “24 जिलों का झारखण्ड अलग राज्य देकर हमारे साथ धोखा हुआ है. हमारा लक्ष्य है वृहद् झारखण्ड. उन्होंने शहीदों को इतिहास के पन्नों में जगह देने की वकालत की और कहा कि उनका संगठन वृहद् झारखण्ड के निर्माण का संकल्प लेता है.
जूते-चप्पल शहीद स्थल के अन्दर ले जाने की मनाही थी, लेकिन….
शहीद स्थल पर प्रशासन द्वारा लोगों के प्रवेश के लिए अलग तरह का इंतजाम किया गया. लगातार माइक पर एनाउंसमेंट किया जाता रहा कि लोग अपने जूते-चप्पल, हेलमेट आदि सामान बाहर छोड़कर ही अन्दर जाएं. प्रशासन की मुस्तैदी देखी और भीड़ भी काफी दिखी. हालांकि शहीद वेदी के आस-पास पुलिसकर्मी जूते पहनकर ड्यूटी करते नज़र आए. माइक पर लगातार शहीद स्थल को पूजा-स्थल कहा जाता रहा. इस पर लोगों ने ऐतराज़ भी ज़ाहिर किया.
सुबह पारंपरिक रीति से शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि,
सबसे पहले सुबह में पारंपरिक रीति से शहीद स्थल को जल से परिष्कृत किया जाता है और फिर हो समाज के प्रधान पुजारी द्वारा शहीदों की आत्मा की तृप्ति के लिए सुनुम (सरसों तेल) शहीद वेदी पर बारी-बारी से डाला जाता है. इस क्रम धूप- धुना आदि जलता रहता है. इस बार भी वही परंपरा दोहराई गई. पूरे कोल्हान समेत ओडिशा, बंगाल आदि राज्यों से भी आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में जुटे और अपने पूर्वजों को नमन किया.
फ़िल्मी सितारों ने भी शहीदों को किया नमन
इस अवसर पर आदिवासी समाज के कई फ़िल्मी सितारे भी खरसवां शहीद स्थल पहुंचे और अपने पूर्वजों की वेदी पर माथा टेका. इनमें ख़ास तौर पर संताली फ़िल्म अभिनेता और फ़िल्म मेकर दशरथ हांसदा, सुरेन्द्र टुडू, सोमाय मार्डी, राजुराज बिरुली, सोनी मुर्मू, पिंकी मुंडा, दुलमु टायसोम, जीतराय मुर्मू (बाडू),आदि प्रमुख थे.
सरायकेला खरसावां : शहीद पार्क विकसित करने के लिए 16.50 करोड़ की योजना स्वीकृत
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!