तीरंदाजी में झारखंड की पहचान हमेशा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही है. कोरोना संक्रमण के कारण खेल आयोजन के साथ-साथ खिलाड़ियों के लिए अभ्यास भी एक चुनौती बना चुका है.
ऐसे हालात में झारखंड के खिलाड़ी जूनियर तीरंदाजी एशिया कप के लिए भारतीय टीम में शामिल होने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.
तीरंदाजी सेंटर बंद होने की वजह से खिलाड़ी अपने घर पर ही जुगाड़ तकनीक से खुद को फिट रखने के लिए पसीना बहा रहे हैं. रांची के पहाड़ और जंगलों में बसे ग्रामीण इलाकों में इन दिनों तीरंदाजी को लेकर साधना जोरों पर चल रही है. रांची के अनगढ़ा, सिल्ली और सोनाहातू प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में तीरंदाज जूनियर एशिया कप को लेकर अपने घरों पर ही जुगाड़ तकनीक के सहारे तीरंदाजी की साधना में जुटे हैं.
दरअसल कोरोना संक्रमण (Corona Cases) की वजह से तीरंदाजी सेंटर बंद होने के कारण तमाम तीरंदाज अपने घर लौट आए हैं. लेकिन, 22 से 24 जनवरी तक हरियाणा के सोनीपत में होने वाले ओपन ट्रायल को लेकर खिलाड़ी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. लिहाजा घरों में ही मौजूद संसाधनों के बूते ही भारतीय टीम में शामिल होने की कोशिश जोरों पर चल रही है.
कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं बेटियां
रांची के जोन्हा के कुम्हार टोली बस्ती की रहने वाली नेशनल मेडलिस्ट अंकिता कुमारी इन दिनों अपने घर पर ही पूरी तरह अभ्यास में जुटी है. यह तीरंदाज अपने दोनों हाथों में ईंट उठाकर धनुष साधना का अभ्यास कर रही है. इसके अलावा रबर को खींच गुलेल बनाकर धनुर्विद्या का अभ्यास कर रही हैं. हर दिन सुबह और शाम करीब 6 घंटे प्रैक्टिस करने के दौरान खुद को फिट रखने के लिए खिलाड़ी जमीन पर पुशबैक करने के साथ-साथ हर दिन सुबह लंबी दौड़ भी लगा रही हैं.
थोड़ी ही दूरी पर बसे अनगढ़ा प्रखंड के राजाबेड़ा पंचायत के रुपड़ू गांव में 4 राष्ट्रीय तीरंदाज नेशनल चैंपियन रीना कुमारी, नेशनल मेडलिस्ट अंजनी कुमारी, नेशनल चैंपियन लक्ष्मी कुमारी और नेशनल प्लेयर निशा कुमारी भी जूनियर एशिया कप को लेकर भारतीय टीम में शामिल होने की कोशिश में जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. राष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित कर चुकी यह चारों खिलाड़ी हर सुबह एक साथ अभ्यास करने में जुट जाती हैं.
भारतीय टीम में 16 तीरंदाजों का होना है चयन
दरअसल भारतीय टीम में कुल 16 तीरंदाजों का चयन होना है. इसको लेकर सोनीपत में ओपन ट्रायल होगा. इसमें रिकर्व स्पर्धा में चार लड़के और चार लड़कियों का चयन होगा. वही कंपाउंड स्पर्धा में 4 लड़के और 4 लड़कियां का चयन होगा. इस कड़ी चुनौती को देखते हुए सोनहातू प्रखंड के टोंग टोंग गांव की राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित तीरंदाज सविता कुमारी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
वहीं, तीरंदाजी की योग साधना का केंद्र माने जाने वाले सिल्ली की बेटियों का अभ्यास इन सबसे अलग है. सिल्ली की अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज राढू नदी में प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर तीरंदाजी का अभ्यास करने में जुटी हैं. हालांकि इन तीरंदाजों के पास चलाने के लिए तीर धनुष नहीं है, क्योंकि सभी संसाधन तीरंदाजी सेंटर बंद होने की वजह से उन्हें नहीं मिल पा रहे हैं. लिहाजा कोशिशें शारीरिक फिटनेस, साधना और मन को एकाग्र करने को लेकर है.
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