हर साल त्योहार के सीजन के पहले प्याज (onion) की कीमतें (price) बढ़ जाती हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी ये तकरीबन ट्रेंड बन गया है. आखिर इसके पीछे क्या वजह है…
प्याज (onion) की कीमतों (price) में इस साल फिर तेजी देखी गई. पिछले एक हफ्ते में प्याज की कीमतें दिल्ली (delhi) में 45 फीसदी तक बढ़ गई. दिल्ली में प्याज 80 रुपए किलो हो गया. हालांकि सरकार के उठाए कुछ कदम की वजह से अब प्याज की कीमतों में आई तेजी कुछ थमी है. प्याज 20 रुपए किलो तक सस्ता हुआ. लेकिन सवाल है कि आखिर हर साल इसी सीजन में प्याज महंगा क्यों होता है?
हर साल त्योहारों से पहले सितंबर से लेकर नवंबर तक प्याज की कीमतें आसमान छूने लगती है. प्याज का मसला ऐसा हो चुका है कि सरकारें तक चिंताग्रस्त हो जाती हैं. कई मौकों पर प्याज की कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं. इसलिए सरकार तक कोशिश में रहती है कि प्याज की कीमतों को काबू में रखा जाए. लेकिन फिर भी हर साल इस सीजन में प्याज की कीमतें बेकाबू हो जाती हैं.
150 रुपए किलो तक हो जाती हैं कीमतें
हर साल प्याज की कीमतें बढ़ने से रोकने के उपाय किए जाते हैं. प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया जाता है, प्याज के स्टॉक पर रोक लग जाती है, सरकारी एजेंसियां सस्ते दामों पर प्याज की बिक्री शुरू कर देती है. लेकिन इसके बावजूद प्याज आम जनता का रुलाता रहता है.
1980 में पहली बार प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखी गई. प्याज आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया था. 1998 में एक बार फिर प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी. दिल्ली में इसकी कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन गई. 2010 में प्याज की कीमतें फिर बढ़ी. 3 साल बाद 2013 में प्याज कई जगहों पर 150 रुपए किलो तक बिका. 2015 में प्याज की कीमतों ने एक बार फिर लोगों को रुलाया. इसके अलावा तकरीबन हर साल सितंबर अक्टूबर में प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं.
क्यों हर साल बढ़ती हैं प्याज की कीमतें
प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में है. पिछले साल सूखा और मानसून में देरी की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्याज उपजाने वाले इलाके प्रभावित हुए थे. पहले मानसून देरी से आया फिर तेज बारिश ने प्याज की फसलों का नुकसान किया. जिसकी वजह से पिछले साल इसकी कीमतों में तेजी देखी गई.
इस साल ज्यादा बारिश ने प्याज की फसलों को नुकसान पहुंचाया. प्याज उपजाने वाले राज्य कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में मानसून में तेजी रही. ज्यादा बारिश की वजह से प्याज का उत्पादन प्रभावित हुआ. कम उत्पादन की वजह से प्याज की कीमतों में तेजी आई.
जानकार बताते हैं कि सिर्फ एक वजह नहीं है जिसके चलते हर साल प्याज की कीमतें बढ़ती हैं. बाढ़ और सुखाड़ के अलावा प्याज की गैरकानूनी तरीके से होर्डिंग की वजह से भी प्याज की कीमतें बढ़ती हैं. हर साल त्योहारी सीजन से पहले जमाखोर प्याज की जमाखोरी करने लगते हैं. जिसकी वजह से प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं.
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