खेती-किसानी बदलावों के दौर से गुजर रही है। अब रंग बिरंगी सब्जियों की डिमांड ज्यादा है। किसान इन दिनों रंगीन फूलगोभी की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। शायद कई लोग इस बात से हैरत में होंगे कि फूलगोभी रंगीन भी हो सकती है, लेकिन देश के कई हिस्सों में पीली और बैंगनी फूलगोभी की खेती हो रही है। खेती-किसानी बदलावों के दौर से गुजर रही है। अब रंग बिरंगी सब्जियों की डिमांड ज्यादा है। किसान इन दिनों रंगीन फूलगोभी की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। शायद कई लोग इस बात से हैरत में होंगे कि फूलगोभी रंगीन भी हो सकती है, लेकिन देश के कई हिस्सों में पीली और बैंगनी फूलगोभी की खेती हो रही है। जो सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद मानी जाती हैं।
कैरोटीना-वेलेंटीना मुनाफेमंद –
फूलगोभी की विदेशी किस्मों में कैरोटीना और वेलेंटीना शामिल हैं। कैरोटीना का रंग पीला और वेलेंटीना का रंग बैंगनी होता है ये दोनों वैरायटी रोपाई के 75 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है इनमें विटामिन-ए भी भरपूर मात्रा में होता है रंग तो आकर्षण का केंद्र होता ही है, लेकिन आकार भी साधारण गोभी से ज्यादा होता है। एक से दो किलो वजन वाली ये फूलगोभी उगाकर आप साधारण गोभी से दोगुना ज्यादा उत्पादन और मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं खेती का तरीका .
मिट्टी और जलवायु-
रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
सामान्य फूलगोभी की तरह ठंडी और नमी वाली जलवायु उपयुक्त होती है। पौधों के उचित विकास के लिए तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। रंगीन फूलगोभी के लिए जीवाश्म की अधिकता वाली मिट्टी अच्छी होती है। साथ ही जल-निकास की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का पी.एच. मान 5.5 से 6.6 के बीच होना चाहिए।
रंगीन फूलगोभी की बुवाई –
खेत की 3 से 4 जुताई करके पाटा लगाकर समतल कर लें फिर रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए पौधों की नर्सरी तैयार करनी चाहिए। एक हेक्टेयर के लिए करीब 200-250 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। नर्सरी में बीज लगाने के बाद जब पौधे 4 से 5 सप्ताह के हो जाएं, तो उन्हें खेतों में लगाना चाहिए। पौधे लगाने के बाद थोड़ी सिंचाई ज़रूर करें। फूलगोभी की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर तक का समय सबसे अच्छा होता है।
खाद और सिंचाई –
अच्छी उपज के लिए खाद की सही मात्रा डालनी ज़रूरी है। गोबर की सड़ी हुई खाद को मिट्टी में मिलाएं और मिट्टी की जांच के बाद ज़रूरत के मुताबिक, रासायनिक खाद डालें। मिट्टी की जांच नहीं कराई है तो 120 किलो नाइट्रोनस, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें। गोबर की खाद और कंपोस्ट को पौधों की रोपाई से 15 दिन पहले ही मिट्टी में मिलाएं। पौधों के उचित विकास के लिए 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
कटाई –
पौधों की रोपाई के बाद 100-110 दिनों बाद फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर से औसतन 200-300 क्विंटल गोभी की फसल प्राप्त होती है। रंगीन फूलगोभी की बाज़ार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफ़ा होता है।
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