व्याख्यान माला के बारहवें अध्याय में “हिंदी उपन्यासों की रचनाधर्मिता : 75 वर्षों के आईने में” विषयक व्याख्यान आयोजित
वर्कर्स कॉलेज, जमशेदपुर द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा । इस निमित्त महाविद्यालय द्वारा विभिन्न विषय-विशेषज्ञों के साथ भिन्न-भिन्न विषयों को लेकर निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । आज व्याख्यान माला श्रृंखला के ग्यारहवें अध्याय में “हिंदी उपन्यासों की रचनाधर्मिता : 75 वर्षों के आईने में” विषयक व्याख्यान आयोजित किए गए । व्याख्यान को मुख्य वक्ता रूप में सिद्धू-कान्हू मुर्मु विश्वविद्यालय, दुमका
के एस. पी. महाविद्यालय के हिंन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. यदुवंश यादव ने संबोधित किया । उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उपन्यास का साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । यह अपनी रचनाधर्मिता के आधार पर विश्व में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली विधा है । इसमें समाज की समसामयिक समस्याओं को सुलझाने की अपार क्षमता विद्यमान है । इसे कहीं न कहीं भारतीय मध्यवर्गीय समाज का निर्माणकर्ता होने का गौरव प्राप्त है । डॉ. यदुवंश ने कई प्रचलित हिंदी उपन्यासों का उल्लेख करते हुए इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया ।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० सत्यप्रिय महालिक ने व्याख्यान माला श्रृंखला के बारहवें अध्याय का उद्घाटन करते हुए अपने स्वागत वक्त में मुख्य वक्ता का स्वागत किया एवं कार्यक्रम के सफल आयोजन की शुभकामनाएं प्रेषित की । साथ ही व्याख्यान माला श्रृंखला के तैरहवें अध्याय की रुपरेखा प्रस्तुत की । कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन प्राध्यापक प्रो० भवेश कुमार ने एवं धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा डॉ. प्रीतिबाला सिन्हा ने की । इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक, प्रधान लिपिक, शिक्षकेत्तर कर्मी, छात्र प्रतिनिधि सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे ।
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