नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाना है, लेकिन प्रखंड के हेंसड़ा पंचायत स्थित प्राथमिक विद्यालय बड़ा बागलता में गुरुवार को एक शिक्षिका ने डंडे से पिटाई कर लगभग आधा दर्जन छात्रों को घायल कर दिया। अभिभावक मानिक दास व मोती दास ने शिक्षिका जूली बारला पर आरोप लगाया है कि उन्होंने डंडे से मारकर लगभग आधा दर्जन छात्रों को घायल कर दिया है।
बच्चों के शरीर पर पड़े मारने के गहरे निशान
पिटाई के कारण छात्र राहुल सरदार दर्द से कराह रहा है। वह ठीक से सो भी नहीं पा रहा है। डंडे से की गई पिटाई के बाद संजना दास, संजना करुआ, इशिता करुआ आदि छात्र-छात्राओं के शरीर व हाथ-पैर पर गहरे निशान पड़ चुके हैं। अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षिका जूली बारला ने छात्रों को चेतावनी दी है कि घर में माता-पिता को मारपीट की जानकारी देंगे तो उन्हें स्कूल से निकाल दिया जाएगा।
बच्चाें को खेल-खेल में है पढ़ाना: बीईईओ
इस मसले पर बीईईओ (Block Education Extension Officer) अनिल कुमार वर्मा ने बताया, खेल-खेल में ही बच्चों को पढ़ाना है। मारपीट नहीं करना है। मारपीट की गई है तो गलत है। मैने सीआरपी को स्कूल भेजकर इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।
आरोपित शिक्षिका जूली ने दी सफाई
शिक्षिका जूली बारला ने इस पर सफाई देते हुए कहा, छात्र समय पर विद्यालय नहीं आते हैं। अधिकांश छात्र अनुपस्थित रहते हैं। पढ़ाई नहीं करते हैं। इसलिए मैंने छात्रों पर हल्का बल प्रयोग किया। इन सबके बीच डीईओ निर्मला बरेलिया ने बताया, यह मामला काफी गंभीर है। छात्रों को इस तरह से पीटना गलत है। इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करनेवाले गुरुजी पर होगी कार्रवाई
जमशेदपुर के शारदामणि स्कूल मामले के बाद राज्य सरकार ने सभी निजी और सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को शारीरिक दंड देने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मानव संसाधन विकास विभाग ने यह आदेश जारी कर दिया है। विस्तृत जानकारी देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि स्कूलों में बच्चों के सही व गलत अनुशासनिक कारणों से शारीरिक दंड देना एक गलत प्रक्रिया है।
जिला में इसपर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है। इस बाबत राज्य सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दिया है। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संशोधित एक में भी इस तरह के दंड को विद्यालयीय व्यवस्था से अलग रखा गया है। उक्त विद्यालयों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे अपने अधीनस्थ निजी और सरकारी विद्यालयों पर पैनी नजर रखेंगे ताकि किसी भी विद्यालय से बच्चों पर शारीरिक शोषण व मानसिक उत्पीड़न करने वाले गुरुजी की शिकायत नहीं मिले।
यदि किसी विद्यालय में छात्रों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित व मानसिक रूप से उत्पीड़न करने की खबर मिलती है तो त्वरित विभागीय कार्रवाई करने की बात कही है। बताया कि मानसिक उत्पीड़न कई प्रकार है जैसे जाति व धर्म के नाम पर उत्पीड़न करना, गरीब बच्चों के साथ अप्रिय व्यवहार करना आदि का नाम शामिल है। बताया कि अधिकांशत: अखबारों, अभिभावकों व ्रप्रधानाध्यापकों द्वारा शारीरिक दंड के कारण छात्रों के बीमार पड़ने की शिकायतें मिलती रही हैं। कई बच्चों ने तो शारीरिक दंड व मानसिक उत्पीड़न के कारण स्कूल जाना ही छोड़ देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सभी बच्चों को सामान्य दर्जा मिलेगी। किसी के साथ कोई शारीरिक दंड व जाति-धर्म के नाम पर अत्याचार नहीं होगी।
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