रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आगमन पर तो कहा गया कि यह छोटे-बड़े रोजगार से लेकर विशेषज्ञों तक को घर बिठा देंगे। एक दशक पहले तो करीब 50 फीसदी नौकरियां खत्म हो जाने का अनुमान जता दिया था, लेकिन 2022 में देखें तो आशंका सही साबित नहीं हुई। लगता है कि तकनीक के पैरोकारों ने इंसानी प्रासंगिकता को बहुत कम करके आंका था। अनुवादक, पत्रकार, वकील, डॉक्टर से लेकर रेस्तरांकर्मी और ड्राइवर जैसे जिन दो दर्जन क्षेत्रों में रोबोटों के काबिज होने की भविष्यवाणी थी, उनमें इंसान तकनीक पर बखूबी जीत दर्ज कर रहा है।
कोरोना महामारी के दौरान एआई की महत्ता बढ़ी
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भरपूर इस्तेमाल के बावजूद हमें पता लगा कि ऐसे कई उद्योग हैं, जिनका संचालन इन्सान के बिना संभव नहीं है और तकनीक सिर्फ इन्सान के सहायक की भूमिका में ही रह सकती है। हमारे जीवन में लिखने-पढ़ने, कला से लेकर रोग निदान-उपचार, दवा व आधारभूत ढांचा निर्माण, खाद्य उत्पादन व भोजन तक में ऑटोमेशन बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसका अनुमान 2013 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक एआई विज्ञानी ने जता दिया था। उन्होंने कहा था कि जल्द 47 फीसदी रोजगारों को कंप्यूटर हथिया लेगा।
अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के समाजविज्ञानी माइकल हैंडल ने हाल में दो दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में तकनीक और इन्सान के मुकाबले को लेकर शोधपत्र पेश किया
अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के समाजविज्ञानी माइकल हैंडल ने हाल में दो दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में तकनीक और इन्सान के मुकाबले को लेकर शोधपत्र पेश किया। इन क्षेत्रों में वित्त सलाहकार, अनुवादक, वकील, डॉक्टर, फास्ट फूड कर्मी, खुदरा कर्मी, ट्रक चालक, पत्रकार, कवि और कंप्यूटर प्रोग्रामर शामिल हैं, जिन पर ऑटोमेशन से खतरा माना जा रहा था। शोधपत्र का निष्कर्ष है कि रोजगार बाजार में एआई की एंट्री के बावजूद इन्सान आज भी बेहद प्रासंगिक व मूल्यवान है, वह रोबोट से आगे ही चल रहा है।
मशीन लर्निंग के जनकों में शुमार जॉफ्री हिंटन ने 2016 में द जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजी में एक लेख के जरिये चेताया था कि 10 साल में रेडियोलॉजिस्टों की जरूरत नहीं रहेगी। लिहाजा, इनका प्रशिक्षण बंद कर देना चाहिए। उनकी भविष्यवाणी सच साबित होने में अभी समय है, लेकिन माइकल हैंडल के मुताबिक, हिंटन की यह चेतावनी बेकार है क्योंकि रेडियोलॉजिस्टों की मांग बढ़ गई है। 2000 से 2019 के बीच इस क्षेत्र में प्रति दशक औसतन 15% नौकरियां बढ़ी हैं।
2019 में ही स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रेडियोलॉजिस्ट कुर्टिस लैंगलोत्ज ने रेडियोलॉजी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पत्रिका में शोधपत्र में लिखा, इन्सान मशीनों को पीछे छोड़ने में सफल रहा है। भले ही कंप्यूटर कुछ तय प्रकार के रोगों को देखना सीख गए हों, पर दुर्लभ बीमारी उनके वश सेे बाहर है।
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