ट्रेनों की एसी चेयर कार बोगी में 50 फीसदी या कम ऑक्यूपेंसी हाेने पर 25 फीसदी किराया कम करने के फैसले का फायदा रांची रेल डिवीजन की ट्रेनों में यात्रियों काे नहीं मिलेगा। वजह यह है कि यहां 10 ट्रेनों में एसी चेयरकार लगाई गई है, लेकिन इनमें ऑक्यूपेंसी 90 से 110 फीसदी है।
अब ऐसे में रेल मंत्रालय के नए नियम का लाभ यात्रियों काे नहीं मिलेगा। रांची में 8 ऐसी ट्रेनें हैं, जिनमें एसी चेयरकार की संख्या एक, दो या तीन है। कम चेयरकार होने के कारण इन ट्रेनों में अक्सर भीड़ ज्यादा होती है। सीटों की ऑक्यूपेंसी हमेशा 90 से 110 फीसदी रहती है। इसलिए यहां की इन ट्रेनाें में किराए में छूट यात्रियाें काे नहीं मिल सकती। स्पष्ट है कि रेल मंत्रालय का यह आदेश रांची रेल डिवीजन के यात्रियों के लिए लाॅलीपाॅप साबित हो रहा है।
10 ट्रेनों के 1 महीने की ऑक्यूपेंसी रेलवे ने निकाली तो सभी फुल लोड
रांची रेल डिवीजन ने 10 ट्रेनों की एक महीने की ऑक्यूपेंसी रिपोर्ट निकाली तो पता चला कि 10 ट्रेनों का लोड फुल है। लंबी दूरी की ट्रेनों में एक या दो ही एसी चेयरकार लगाई गई है। यात्रियों का लोड ज्यादा होने से एसी चेयरकार में कंफर्म बर्थ नहीं मिल रही है तो रेलवे का नया नियम यात्रियों को केवल आईवॉश ही लग रहा है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा के लिए यह निर्णय, यात्रियों के लिए फायदेमंद
रांची वासियों को फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि यहां एसी चेयरकार की ऑक्यूपेंसी 80 से 110 फीसदी है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है। देशभर में कई ऐसी जगह हैं, जहां पर ट्रेनों की ऑक्यूपेंसी 50 फीसदी से कम है। वहां के यात्रियों के लिए यह फैसला फायदेमंद है।
-प्रदीप गुप्ता, डीआरएम, रांची।
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