लोगों को गर्मी से राहत मिल रही है , रांची व आसपास के जिलों में दोपहर को रुक रुककर बारिश व तेज हवा चली. जिससे राजधानी का तापमान अधिकतम 35.6 डिग्री जबकि न्यूनतम 21.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.
24 घंटे के दौरान झारखंड में सबसे अधिक बारिश लातेहार में 26.8 मिमी दर्ज की गई.
सबसे अधिक तापमान डाल्टेनगंज का 40.7 डिग्री जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 20.8 डिग्री सेल्सियस गिरिडीह का दर्ज किया गया है. एक ओर जहां उत्तर पूर्वी यानी देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहेबगंज, गोड्डा, पाकुड़ व धनबाद के अलावे दक्षिणी क्षेत्र यानी पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और सरायकेला खरसावां में कहीं कहीं मेघ गर्जन के साथ वज्रपात का पूर्वानुमान किया गया है.
मौसम विज्ञान केंद्र रांची के वरीय विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि उत्तर पूर्वी व दक्षिणी झारखंड में 29 मई तक आंशिक बादल छाए रहेंगे. साथ ही मेघ गर्जन व वज्रपात को लेकर मौसम विभाग ने येलो अलर्ट भी जारी किया है.
रिमझिम बारिश के बाद अब आम व लीची के फल होंगे रसीले, बढ़ेगी मिठास
मार्च, अप्रैल और मध्य मई तक राजधानी समेत आसपास के जिलों में एक बूंद बारिश नहीं होने से जहां किसानों के चिंता की लकीरें बढ़ने लगी थी. पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने आम आवाम के साथ साथ किसानों को राहत दी है. खेतों में पर्याप्त मात्रा में बरसात का पानी जमा हो चुका है. खेतों की मिट्टी पूरी तरह से नम हो चुकी है. जो कि किसानी के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी सह पूर्व डीन एग्रीकल्चर डा एमएस यादव बताते हैं कि यह बारिश हर लिहाज से किसानी के लिए फायदेमंद है. खासकर आम व लीची समेत सब्जी की फसलों के लिए यह बारिश लाभप्रद साबित हुई है बारिश के बाद किसानों के पटवन की चिंता अब दूर हो चुकी है. आम और लीची के फल जहां रसीले हो जाएंगे वहीं इसकी मिठास भी बढ़ेगी. अब तक ये फसलें हीट वेव की चपेट में थी और आम व लीची के फलों का आकार बढ़ने के साथ साथ उसमें सिंचाई का अहम रोल होता है. ऐसे वक्त में बारिश ने इन फलों की मिठास बढ़ा दी है. वहीं दूसरी ओर लत्तीदार सब्जियों के लिए भी प्री-मानसून की यह बारिश बहुत नुकसानदेह नहीं है. डा यादव ने बताया कि बारिश के साथ यदि भारी मात्रा में ओलावृष्टि होती तो बेशक यह सभी फसलों के लिए नुकसानदेह होती.
किसानों को शुरु कर देनी होगी जुताई
कृषि विज्ञानी कहते हैं कि खरीफ फसलों के लिए किसानों को अब खेतों की जुताई शुरु कर देनी चाहिए. फिलहाल सभी जगहों पर खेतों में पर्याप्त नमी है और अच्छी तरह से खेतों की जुताई कर मिट्टी को पलट देना चाहिए. ताकि इसमें मौजूद कीड़े धूप की गर्मी से समाप्त हो जाएं. यही नहीं वैसे किसान जो हल्दी, अदरख, ओल, अरहर, सोयाबीन, उड़द, मूंगफली, हरी खाद मसलन ढैंचा, मकई वगैरह की खेती करना चाहते हैं वो अभी से ही तैयारी शुरु कर दें.
मिट्टी में नमी होने के कारण अगले एक सप्ताह से दस दिनों तक किसानों को अधिक पटवन की जरुरत भी नहीं पड़ेगी। तीनों चरणों में होने वाली किसानी को मिलेगा लाभ :झारखंड के ऊपरी हिस्सों में होने वाली खरीफ फसलों के लिए अरहर, सोयाबीन, उड़द व मूंगफली के अलावे मध्यम हिस्से के खेतों में धान और मकई के साथ साथ निचले हिस्से के खेतों में पूरी तरह से धान के खेत को तैयार कर लेना किसानों के लिए हितकर होगा. तीन हिस्सों में होने वाली खेती के लिए फिलहाल खेतों में पर्याप्त नमी है और सिंचाई के लिए किसानों को ज्यादा कुछ नहीं करना होगा.
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