प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते समय इस बार सुप्रीम कोर्ट की भी तारीफ की. पीएम मोदी ने क्षेत्रीय भाषाओं में अदालती फैसलों को उपलब्ध कराने की मुहिम का मुद्दा उठाया, तो समारोह में मौजूद सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस तारीफ पर हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे मातृभाषा में पढ़ सकें, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद करते हैं. पीएम मोदी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब वो जो फैसला देंगे, उसका जो ऑपरेटिव पार्ट उसी भाषा में होगा जिसमें वो आया है.
लाल किले की प्राचीर से इस तरह पीएम द्वारा सुप्रीम कोर्ट की तारीफ करना अनूठी बात ही है. भारतीय गणतंत्र की 73वीं वर्षगांठ पर एक हजार से ज्यादा फैसलों का अनुवाद अपलोड किए जाने से हुई नई शुरुआत अब काफी आगे बढ़ चुकी है. देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की देखरेख में ये काम तेज से हो रहा है. बता दें कि इसी साल गणतंत्र दिवस और अपने स्थापना दिवस को और यादगार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को एक हजार से ज्यादा फैसलों का दस भाषाओं में अनुवाद जारी कर इसकी शुरुआत की थी.
इनमें हिंदी के अलावा ओड़िया, गुजराती, तमिल, असमी, खासी, गारो, पंजाबी, नेपाली और बांग्ला में भी किया जा रहा है. बाद में इसका दायरा और भाषाओं तक बढ़ाया जाएगा. इंसाफ के लिए कतार में खड़े देश के अंतिम नागरिक तक न्यायालय और इसके फैसले की पहुंच सरल करने की देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की मुहिम अब तेज हो चली है. अब न केवल अदालत की चौखट तक पहुंचकर इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना सरल होगा, बल्कि देश की न्यायपालिका को सीधे-सीधे आमलोगों तक पहुंचाएगा.
अब लोग खुद ही अपनी भाषा में फैसले पढ़कर कानूनी प्रक्रिया के भागीदार बन सकेंगे. फैसले भी अपनी क्षेत्रीय भाषा और लिपि में पढ़ने की सुविधा हो गई है. नई मुहिम के तहत सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी सहित क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों की तादाद हर बढ़ती जा रही है. गणतंत्र दिवस से शुरू हुई, ये पहल रंग लाने लगी है. सुप्रीम कोर्ट ई-कोर्ट्स कमेटी के मुताबिक, अनुवाद के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है.
लेकिन फैसलों का अनुवाद सही हो इसके लिए न्यायिक अफसरोंकी मदद भी ली जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय एस ओक इनकी निगरानी कर रहे हैं. पहले भी सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की खुद पीएम मोदी ने भी तारीफ की है. वहीं कानूनी पेशे से जुड़े लोग भी मानते हैं कि इससे आम लोगों के साथ-साथ दूसरों को भी फायदा होगा.
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