नोवामुंडी प्रखंड के बड़ाजामदा में करीब 52 वर्ष पूर्व तत्कालीन आईपीएस अधिकारी आरक्षी अधीक्षक मैकू राम द्वारा वर्ष 1971 में बड़ाजामदा ओपी का शिलान्यास किया गया था, तब संयुक्त बिहार की सरकार थी। आज बड़ाजामदा ओपी के स्थापना के 52 वर्ष और झारखंड के सयुंक्त बिहार से अलग हुए करीब 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी दुर्भाग्य से बड़ाजामदा ओपी को पूर्ण थाने का दर्जा नहीं मिल पाया है।
इन वर्षों में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारियों ने इसे पूर्ण थाने का दर्जा दिलाने की दिशा में कोई सार्थक पहल करने का प्रयास नहीं किया। बड़ाजामदा ओपी के तहत आने वाले गांव की आबादी आज काफी बढ़ चुकी है। बढ़ती आबादी के साथ ही अपराध का ग्राफ भी बढ़ा है। इसके बावजूद बड़ाजामदा ओपी को पूर्ण थाने का दर्जा नहीं मिल पाना अपने आप मे आश्चर्यजनक है। जबकि कुछ वर्ष पूर्व स्थापित जेटेया थाने को संपूर्ण थाने का दर्जा भी दिया जा चुका है।
कार्य क्षेत्र दो पंचायतों के करीब 15 किलोमीटर की परिधि में दर्जनों गांवों तक फैला हुआ
बड़ाजामदा ओपी के तहत जो भी आपराधिक मामले दर्ज होते हैं, उन कांडों की रजिस्ट्री बड़ाजामदा ओपी से 10 किलोमीटर दूर गुआ थाने में की जाती है। बड़ाजामदा ओपी का कार्य क्षेत्र दो पंचायतों के करीब 15 किलोमीटर की परिधि में दर्जनों गांवों तक फैला हुआ है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। वर्ष 1994-95 में इस जर्जर व रेल लाइन के किनारे बसे बड़ाजामदा ओपी में साप्ताहिक हाट के दिन नक्सली हमला भी हो चुका है, तब तत्कालीन ओपी प्रभारी को अपनी जान बचाने के लिए सादे कपड़े पहन थाने से कुछ दूर स्थित बैंक में छिपना पड़ा था।
यदि वर्षो पूर्व बने बड़ाजामदा ओपी को सम्पूर्ण थाने का दर्जा दे दिया जाता है तो क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने गांव से काफी दूर गुआ थाने का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, जबकि बड़ाजामदा ओपी को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए करीब 15 वर्ष पूर्व नोवामुंडी-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग के किनारे करोड़ों रुपए की लागत से जरूरत की सुविधाओं से लैश आधुनिक मॉडल के थाना भवन का निर्माण करवाया गया था। साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से थाना भवन के चारों ओर कंटीले तारों का बाड़ लगाया गया था, लेकिन उचित देखभाल के अभाव में उक्त नवनिर्मित थाना भवन काफी जर्जर और खंडहर में तब्दील हो रहा है, जबकि बड़ाजामदा ओपी आज भी एक छोटे कमरे में चल रहा है, जहां न तो पुलिस अधिकारियों के ढंग से रहने की व्यवस्था है और न ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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