मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा की एक अधिकारी सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। दरअसल दो दिन पहले डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. छतरपुर के लवकुश नगर की एसडीएम निशा बांगरे ने 22 जून को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। अपने त्यागपत्र में निशा ने उल्लेख किया था कि उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 22 जून को एक पत्र मिला जिसमें उन्हें उनके स्वयं के निजी आवास के उद्घाटन पर जाने के लिए मना कर दिया गया। इसके साथ ही उन्हें विश्व शांति सम्मेलन में तथागत बुद्ध की अस्थियों के दर्शन के लिए भी जाने की अनुमति नहीं दी गई।
इससे व्यथित होकर वे इस्तीफा दे रही है। हैरत की बात यह है कि जिस दिन निशा ने इस्तीफा दिया, उसी दिन बैतूल के अपर कलेक्टर के यहां से एक कारण बताओ नोटिस उन्हें जारी किया गया कि वह विश्व शांति सम्मेलन के प्रचार प्रसार में भाग ले रही हैं। ऐसा ना करें और ना ही उस दिन कार्यक्रम में शिरकत करें क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी अनुमति नहीं दी है। इतना ही नहीं, अपर कलेक्टर ने कारण बताओ नोटिस जारी करके निशा से इस बात का जवाब भी मांगा कि वह आखिर प्रचार-प्रसार क्यों कर रही है।
इसी के साथ सामान्य प्रशासन विभाग ने भी एक नोटिस निशा को जारी कर दिया जिसमें आरोप लगाया गया कि वे भोपाल में चार इमली स्थित बंगले में अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं और कई बार नोटिस देने के बाद भी उन्होंने उसे खाली नहीं किया है। उनका यह कृत्य दंडात्मक कार्यवाही की श्रेणी में आता है।
मामले में निशा बांगरे का कहना है कि उन्हें छतरपुर में आवास आवंटित नहीं किया गया था जिसके चलते वे अपना सामान भोपाल से नहीं ला पाई थी और इसी वजह से आवास अब तक खाली नहीं किया था। हालांकि यह सब कार्यवाहियां आनन-फानन में निशा के इस्तीफा देने के साथ ही जुड़ी हुई है इसीलिए यह समझा जा सकता है कि कहीं ना कहीं सरकारी तंत्र में निशा के इस्तीफे को लेकर हलचल है।
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