उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर को दुनिया के नक्शे पर जगह मिली है. लेकिन इसकी वजह शहर के लोगों को पसंद नहीं आएगी. दरअसल, ध्वनि प्रदूषण के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है. यह विश्व स्तर पर ध्वनि प्रदूषण पर आंकड़े पेश करती है. इस रिपोर्ट में दुनिया के 61 शहरों को शामिल किया गया है. लिस्ट में सबसे ऊपर नाम बांग्लादेश की राजधानी ढाका का है, जबकि पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर का नंबर तीसरा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि लिस्ट में टॉप तीन स्थानों में एशिया के ही शहर शामिल किए गए हैं.
भारत के सबसे बड़े निर्यात केंद्रों में से एक मुरादाबाद ने 114 डीबी (डेसिबल) ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया, जो बांग्लादेश के ढाका के बाद दूसरे स्थान पर है. बांग्लादेश में यह 119 डेसिबल है, जबकि इस्लामाबाद का 105 डेसिबल है. मुरादाबाद के अलावा, कोलकाता (89 डीबी), पश्चिम बंगाल का आसनसोल (89 डीबी), जयपुर (84 डीबी) और राजधानी दिल्ली (83 डीबी) का भी नाम शामिल है.
बता दें कि बांग्लादेश की राजधानी अपने परिधान उद्योग के लिए जानी जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक 70 डेसिबल से ऊपर का ध्वनि प्रदूषण हानि के जोखिम को बढ़ा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-एशियाई क्षेत्रों में सबसे अधिक वायु प्रदूषण क्षेत्र हैं. इसमें जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल शामिल हैं, जबकि यूरोप और लैटिन अमेरिका क्षेत्र सबसे शांत क्षेत्र हैं.
दिल्ली में क्या है ध्वनि प्रदूषण का स्तर
दिल्ली में शोर का स्तर 83 डीबी और कोलकाता के लिए 89 डीबी पाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क यातायात, हवाई यातायात, रेलवे, मशीनरी, उद्योग और मनोरंजक गतिविधियों जैसे पर्यावरणीय शोर स्रोतों के संपर्क में आने से शारीरिक और मानसिक कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि 70 डीबी से ज्यादा साउंड फ्रीक्वेंसी सेहत के लिए खतरनाक मानी जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 1999 की गाइडलाइन में रिहायशी इलाकों के लिए 55 डीबी की सिफारिश की थी, जबकि ट्रैफिक और बिजनेस सेक्टर्स के लिए इसकी लिमिट 70 डीबी तय की गई थी.
ध्वनि प्रदूषण से हो सकती हैं कई बीमारियां
रिपोर्ट बताती है कि हांगकांग में पांच में से दो निवासी तय लिमिट से ज्यादा सड़क यातायात के शोर के संपर्क में हैं. रिपोर्ट में यह भी मेंशन किया गया है कि बड़े यूरोपीय शहरों के आधे से अधिक निवासी उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां शोर का स्तर उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि इससे हमारे शरीर में रिएक्शन की एक पूरी सीरीज होती है. इसे एरॉसल रिस्पॉन्स कहा जाता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों को क्षति पहुंचा सकता है. इससे हमारा हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और ब्रीदिंग रेट भी काफी बढ़ सकता है, साथ ही इससे आपको डाइजेशन से जुड़ी दिक्कत हो सकती है.
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