मानव मस्तिष्क अपने अंदर कई रहस्य समेटे है. अभी तक मस्तिष्क की बहुत ही कम प्रक्रियाओं और प्रणालियों की जानकारी मिल सकी है. इस जटिल अंग की संवेदनशीलता के कारण वैज्ञानिक इंसान के जिंदा रहते इस पर ज्यादा अध्ययन नहीं कर पाते हैं. इसी वजह से मस्तिष्क के अध्ययनों में चूहों पर बहुत प्रयोग होते हैं क्योंकि चूहों के मस्तिष्क की संरचना मानव मस्तिष्क से काफी मेल खाती है. इस प्रकार के चूहों पर हुए अध्ययन ने खुलासा किया है कि नींद अगले दिन मस्तिष्क को भावनाओं को संसाधित करने में सहायक होती है.
बताया जा रहा है कि इस अध्ययन की मदद से मानव नींद के कई रहस्य सुलझ सकते हैं. दिमाग की कार्यप्रणाली में नींद की भूमिका एक बहुत बड़ी पहेली रही है. लेकिन इस बात के बहुत से प्रमाण मिले हैं कि रैपिड आई मूवमेंट (REM) वाली नींद इंसान को उसकी भावनात्मक यादों को मजबूत करने में सहायक होती है. लेकिन यह कार्यप्रणाली वास्तव में काम कैसे करती है, वैज्ञानिक अब भी इसकी पड़ताल कर रहे हैं.
शांति और सक्रियता
दिमाग की भावनात्मक कार्य प्रणाली में मस्तिष्क के प्रिफ्रंटल कोर्टेक्स की बड़ी भूमिका होती है. फिर भी REM नींद के दौरान कुछ तंत्रिकाएं, जिन्हें पिरामिडल तंत्रिकाएं कहते हैं, आश्चर्यजनक रूप से शांत रहती हैं. यह एक विरोधाभासी बात लग सकती है क्योंकि आखिर नींद के दौरान सक्रिय ना रहने पर दिमाग के कुछ हिस्से कैसे भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं.
नींद में या फिर उसके बिना
नींद में और जागे हुए चूहों पर हुए शोध बताते हैं कि रेम वाली नींद के दौरान प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स के शांत होने से एक तरह से पूरे सिस्टम को रीसेट करने में मदद मिलती है. इस पड़ताल के नतीजे दूसरे अध्ययनों के नतीजों से मेल खाते हैं जिनके मुताबिक नींद तंत्रिका गतिविधि को नियंत्रित रखती है. पर्याप्त रेम नींद के बिना दिमाग के नेटवर्क में डर जैसे भावनात्मक संदेशों की भरमार हो जाती है. इससे अहम संकेतों और गैर जरूरी संकेतों के बीच में अंतर करना मुश्किल हो जाता है. इससे जागे रहने वाले चूहे या तो ज्यादा डरे हुए प्रतिक्रिया देते हैं या फिर जरूरत से कम.
तंत्रिकाओं के संदेश लेने की प्रणाली
जागृत और सक्रिय अवस्था में दिमाग के तंत्रिकाएं दिमाग से डेंड्राइट्स के जरिए संदेश लेती हैं जो भुजा की तरह काम करते हैं. ये संदेश फिर न्यूरोन के शरीर या सोमा तक पहुंचते हैं जो दूसरी तंत्रिकाओं की तक संदेश आगे पहुंचाने का काम करते हैं. लेकिन रेम की नींद की अवस्था मे चूहों की प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स की तंत्रिकाएं अलग ही तरह से बर्ताव करती दिखीं. जहां डेंड्राइट्स की गतिविधि बढ़ी हुई दिखी सोमा कम सक्रिय दिखे. दूसरे शब्दों में कहें तो सोमा अच्छे से नींद में रहे और डेंड्राइट्स अच्छे से जागे हुए थे.
तय करने का समय मिलता है
स्विट्जरलैंड बर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका मतलब य हुआ कि तंत्रिकाएं उन सूचनाओं को संसाधित करती हैं जो उन्हें पहले ही मिल गई है, लेकिन वे संदेश नहीं भेजती हैं. ऐसे में डेंड्राइट्स को अपने सूचनाओं का मजबूत करने का समय मिल जाता है, जो उन्हें मिल चुकी होती हैं. इससे वे यह तय कर पाती हैं कौन से संदेश भेजने हैं या कौन से नहीं.
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