प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्यों मनाया जाता है ?
हर साल राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने के प्रमुख कारकों में से एक औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के साथ ही पानी, हवा और मिट्टी के प्रदूषण (औद्योगिक प्रक्रियाओं या मैनुअल लापरवाही के कारण उत्पन्न) की रोकथाम है। सरकार द्वारा पूरी दुनिया में प्रदूषण को गंभीरता से नियंत्रित करने और रोकने के लिए बहुत से कानूनों की घोषणा की गयी। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों की आवश्यकता की ओर बहुत अधिक ध्यान देने के लिये लोगों को और सबसे अधिक उद्योगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस उन लोगों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गँवा दी थी। उन मृतकों को सम्मान देने और याद करने के लिये भारत में हर वर्ष 2 दिसंबर को मनाया जाता है। भोपाल गैस त्रासदी वर्ष 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात में शहर में स्थित यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से जहरीला रसायन जिसे मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) के रूप में जाना जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 500,000 से अधिक लोगों की (जो 2259 के आसपास तुरंत मर गये) एमआईसी की जहरीली गैस के रिसाव के कारण मृत्यु हो गयी। बाद में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ये घोषित किया गया कि गैस त्रासदी से संबंधित लगभग 3,787 लोगों की मृत्यु हुई थी। अगले 72 घंटों में लगभग 8,000-10,000 के आसपास लोगों की मौत हुई, वहीं बाद में गैस त्रासदी से संबंधित बीमारियों के कारण लगभग 25000 लोगों की मौत हो गयी। ये पूरे विश्व में इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रुप में जाना गया जिसके लिये भविष्य में इस प्रकार की आपदा से दूर रहने के लिए गंभीर निवारक उपायों की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस का महत्व?
भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण हर साल दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। स्वास्थ्य पोर्टल पर बताया गया है कि वायु प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि विश्व स्तर पर 10 में से 9 लोगों के पास सुरक्षित या शुद्ध हवा सांस लेने के लिए नहीं है। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है।
हवा में मौजूद प्रदूषक श्लेष्म झिल्ली और अन्य सुरक्षात्मक बाधाओं से गुजर सकते हैं और फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण ओजोन परत के नुकसान के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के लिए भी जिम्मेदार है। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस को मनाने का महत्व बढ़ जाता है।
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