खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 16 जून 2021 से सोने के ज्वेलरी और दूसरी कीमती कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी थी। मंत्रालय ने कहा था कि भारत में केवल 30% सोने की ज्वेलरी की हॉलमार्किंग होती है। सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है क्योंकि यह सोने की शुद्धता की पुष्टि करता है। पर ये कैसे पता चले कि ये असली हॉलमार्किंग या नकली। इसे पहचानने का तरीका हम आपको यहां बताएंगे।
कभी-कभी, ज्वेलर यह दावा करते हुए सोने की ज्वेलरी बेच देते हैं कि यह 22 कैरेट का है। फिर भले ही वो ज्वेलरी असल में कम शुद्धता वाली हो। इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको असल हॉलमार्किंग साइन के बारे में पता होना चाहिए। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी उपाय कर रही है कि सोने की ज्वेलरी की गलत बिक्री न हो।
कैसे पहचानें सही हॉलमार्किंग
आपकी सोने की ज्वेलरी पर बीआईएस चिह्न होना चाहिए, जिसे एक त्रिकोण की तरह दर्शाया गया होगा। बिल पर हॉलमार्किंग की कॉस्ट को चेक करने के लिए आपको बिल ब्रेकअप की रिक्वेस्ट करनी चाहिए। आपको देखना चाहिए कि ये लागत परख और हॉलमार्किंग केंद्रों द्वारा निर्धारित मूल्य निर्धारण के बराबर हो। कैरेट (22के915) की जांच करना जरूरी है क्योंकि यह कैरेट की प्योरिटी और शुद्धता की गारंटी देता है। आपको बीआईएस दिशानिर्देशों के अनुसार जोहरी के लाइसेंस पर लिस्टेड स्टोर के पते को चेक करना चाहिए।
हॉलमार्क वाली सोने की ज्वेलरी क्यों खरीदनी चाहिए?
सोने की हॉलमार्किंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह खरीदे गए सोने के आभूषणों की शुद्धता की पुष्टि करेगी। बीआईएस की हॉलमार्किंग स्कीम के तहत रजिस्टर्ड ज्वेलरों को बेचने से पहले अपने आभूषणों की जांच करानी चाहिए। नए हॉलमार्किंग नियमों से आप सही ज्वेलरी खरीदने में सक्षम होंगे और सोना खरीदते समय भ्रम और धोखाधड़ी से बचेंगे।
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