आदिवासी समाज के लोग बांदना पर्व शुरू होने के एक महीने पहले ही अपने घर आंगन की साफ सफाई और रंगाई पुताई करने में जुट जाते हैं। बांदना के इस पर्व को आदिवासी समुदाय के लोग अपनी सुविधा के अनुसार मनाते हैं।
किसान, ग्रामीण मांदर ढोल नगाड़ों की थाप पर थिरके नजर आए. बरदखूंटा के बहाने किसान पशुओं के साथ खूब नाचे और एक दूसरे के प्रति प्रेम का इजहार किया।
आपको बता दें कि सोहराय पूर्व पर अपने खेत को लहलहाते देख किसान अपनी खुशी पशुओं के साथ भी बांटते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
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