रांची जिला के विभिन्न प्रखंडों में कुल 367 विद्यालयों का विलय हुआ था. स्कूलों के विलय होने के बाद अधिकांश विद्यालयों की स्थिति जर्जर हो चुकी है. बुढ़मू प्रखंड के यूपीएस-छापरटोली, यूपीएस-सहेदा सहित कई स्कूलों में ग्रामीण मवेशियों को बांधते हैं. प्रखंड के छापरटोली स्थित स्कूल के कमरों में पुआल रखा जाता है. वहीं चोर दरवाजा-खिड़की तोड़ कर ले जा रहे हैं. कई विद्यालयों में चारों ओर झाड़ियां उग आयी हैं.
प्रखंड के गोडाडीह पंचायत के जीपीएस पलासडीह स्कूल भवन की स्थिति जर्जर है. वहीं पिस्का पंचायत के यूपीएस जारू विद्यालय को पिस्का हाईस्कूल में विलय किया गया है. अब जारू विद्यालय भवन परिसर में ग्रामीण सब्जी उगा रहे है. तमाड़ प्रखंड में मर्ज किये गये सभी विद्यालय बेकार पड़े हुए हैं. दो-चार विद्यालयों का उपयोग ग्रामीण सामाजिक कार्यों के लिए कर रहे हैं. वहीं कई विद्यालयों के बरामदे पर मवेशी बांधे जाते हैं.
खूंटी में कई भवन हुए जर्जर
खूंटी. जिले के 124 स्कूलों का दूसरे में विलय किया गया था. इसके बाद स्कूल भवन बेकार हो गये थे. जिला प्रशासन द्वारा अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग विभागों को भवन हस्तांतरित किये गये थे. मुख्य रूप से खाली पड़े स्कूल भवन को पंचायत भवन और आंगनबाड़ी केंद्र को दिया गया था. वहीं कई जगहों पर स्कूल भवन में मिनी लाइब्रेरी बनायी गयी है.
इसके अलावा कई भवनों को सरकारी कार्य के लिए मुखिया को भी हस्तांतरित कर दिया गया. इसके अलावा भी कई भवन खाली हैं. हरिजन प्राथमिक विद्यालय भवन को जिला प्रशासन द्वारा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उपयोग किया जा रहा है. वहीं अन्य भवन खाली पड़े हुए हैं. जिस कारण भवन की स्थिति जर्जर हो गयी है.
जुआ खेलने और शराबखोरी का अड्डा बने
कोडरमा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत खुले विद्यालयों में से जिले के 63 विद्यालयों को तत्कालीन शिक्षा सचिव के निर्देश के आलोक में दूसरे में मर्ज किया गया था. सुदूरवर्ती इलाकों में जहां बंद पड़े विद्यालय भवनों पर कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने कब्जा कर रखा है, वहीं शहरी इलाकों में अधिकतर में ताले लटके हुए हैं. खाली विद्यालय भवन जुआ खेलने से लेकर शराब पीने तक का अड्डा बन गये हैं. जिले के उग्रवाद प्रभावित प्रखंड सतगावां में तो कुछ स्कूल भवन तबेला बना दिये गये हैं.
इन भवनों में जानवरों को बांधा जा रहा है, तो कुछ में लोगों ने अपना बसेरा तक बना लिया है. कुछ यही हाल डोमचांच प्रखंड में स्थित स्कूल भवनों का है. यहां पर एक स्कूल भवन में ग्रामीणों ने लकड़ी से लेकर पुआल तक जमा कर रखा है. बकायदा, दरवाजा में ताला लगाकर रखा गया है, ताकि सामान सुरक्षित रह सके. वित्तीय वर्ष 2014-15 में 34 और वित्तीय वर्ष 2016-17 में 29 स्कूल मर्ज किये गये थे. सात स्कूल भवनों का ही उपयोग सरकारी काम-काज में हो रहा है. बाकी भगवान भरोसे है, जहां लोगों ने कब्जा कर रखा है या तो ये बेकार पड़े हैं.चंदवारा प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय हरिजन टोला महुंगाय में वर्तमान में बंद पड़े स्कूल भवन में आम लोग रहते हैं.
घर के तौर पर प्रयोग करना शुरू कर दिया
यहां कपड़ा सुखाने से लेकर अन्य काम-काज तक आराम से होता दिखाई देता है. सतगावां के प्राथमिक विद्यालय टेहरो के आगे झाड़ी उग आयी है. यहां लोगों ने विद्यालय भवन को गोशाला बना दिया है. उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जेठहाडीह में दो मंजिला विद्यालय का भी यही हाल है. मरचोई पंचायत के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय थनाही के बवन का लोगों ने बकायदा घर के तौर पर प्रयोग करना शुरू कर दिया है. डोमचांच प्रखंड की बगड़ो पंचायत के यूपीएस हरिहरपुर में स्थानीय लोगों ने ताला लगाकर पुआल व लकड़ी आदि रखी है.
मरकच्चो के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय विधनिया का भवन जुआरियों और शराबियों का अड्डा बनकर रह गया है. अन्य स्कूल भवनों का भी यही हाल है. भवन रखरखाव के अभाव में जीर्णशीर्ण होने के कगार पर पहुंच गये हैं. वहीं शिक्षा विभाग वास्तविक स्थिति से अनभिज्ञ है, उसका दावा है कि कहीं पर कोई कब्जा नहीं है. एडीपीओ शिव कुमार मल्लिक ने बताया कि विभागीय निर्देशानुसार जिले के 63 स्कूलों को दो चरणों मे दूसरे स्कूलों में मर्ज किया गया था. खाली पड़े स्कूल भवन पूरी तरह सुरक्षित हैं. किसी भी भवन में कोई अतिक्रमण नहीं है.
पशुओं के लिए आश्रयगृह बनाया स्कूल को
हजारीबाग जिले में कुल 110 स्कूल मर्ज किये गये. आज कई विद्यालय भवन मवेशियों व जुआरियों का अड्डा बन गये हैं. अधिकांश स्कूल भवनों की स्थिति अच्छी है. इनका उपयोग नहीं हो रहा है. कई स्कूल भवनों का उपयोग चुनाव के समय किया गया था. केरेडारी की पांडू पंचायत में मध्य विद्यालय पांडू उर्दू को हिंदी विद्यालय में मर्ज कर दिया गया था. मर्ज विद्यालय के भवन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है. इसी तरह चटिबारियातू के नव प्राथमिक विद्यालय रकसाही के बच्चों को मिडिल स्कूल पगार में मर्ज कर दिया गया था. प्राथमिक विद्यालय रकसाही जुआरियों का अड्डा बन गया है.
कमरों को आपस में बांट खटाल बनाया
लातेहार में 148 विद्यालयों को दूसरे विद्यालय में मर्ज किया गया था. मर्ज करने के बाद अधिकतर विद्यालय भवनों का उपयोग ग्रामीण अपने पशुओं को बांधने और धान मकई रखने में कर रहे हैं. लातेहार प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जामुनटोला को उत्क्रमित मध्य विद्यालय पोचरा में मर्ज किया गया था. जामुनटोला में वर्ष 2005 में दो भवन नौ लाख रुपये की लागत से बनाये गये थे. जिसमें कुल आठ कमरा है.
वर्तमान में इन भवनों का उपयोग जामुनटोला के लोग आपस बांट कर एक-एक कमरा को अपने कब्जे में लेकर ताला लगा दिये हैं, जिसका उपयोग पुआल व अन्य कार्य के लिए करते हैं. जिले के महुआडांड प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय दुरूप को उत्क्रमित मध्य विद्यालय दौना में मर्ज किया गया था. इस विद्यालय में तीन कमरा है, जिसे चार लाख रुपये की लागत से वर्ष 2005 में बनाया गया था. वर्तमान समय में इसका उपयोग ग्रामीण बैठक एवं अन्य कार्य के लिए करते हैं. इसके अलावा जिले के मर्ज अन्य विद्यालयों के भवनों का उपयोग ग्रामीण ही कर रहे हैं.
हर जगह है गंदगी का अंबार
जिले के 131 विद्यालयों को दूसरे विद्यालय में मर्ज किया गया था .वर्तमान में बंद हुए विद्यालयों के भवन सुनसान पड़े हैं. हालांकि जिले के 47 विद्यालय भवनों को विभिन्न सरकारी विभागों को हस्तांतरित कर दिया गया है. लेकिन हस्तांतरित किये गये विद्यालय भवनों में भी कोई काम- काज वर्तमान में नहीं किया जा रहा है. मर्ज किये गये सभी विद्यालयों के भवन ठीक-ठाक व दुरुस्त थे. लेकिन अब कई विद्यालयों में गंदगी का अंबार लगा है. विद्यालय भवनों व इसके आसपास घास और झाड़ी उग आयी है.
133 भवनों में कई हो गये खंडहर में तब्दील
सिमडेगा जिले में पिछली सरकार के द्वारा 133 विद्यालयों को दूसरे में मर्ज किया गया था. जो विद्यालय खाली हुए, उनमें कुछ भवन खंडहर बन रहे हैं. ज्यादातर भवनों का ग्रामीण गलत तरीके से अपने उपयोग में ला रहे हैं. शहरी इलाके की बाजार टोली में स्कूल को ध्वस्त कर वहां पर साप्ताहिक हाट के लिए लोगों के बैठने के लिए पेबर ब्लॉक बिछा दिये गये हैं. जिले में कुल 133 विद्यालयों को दूसरे में मर्ज किया गया था.
कोलेबिरा में 14, बोलबा में 8, ठेठईटांगर में 22, सिमडेगा में 14, पाकरटांड़ में 13, कुरडेगा में 26, केरसई में 5,बांसजोर में 5 और जलडेगा प्रखंड में कुल 21 विद्यालय अन्य में मर्ज किये गये थे. खाली पड़े विद्यालय भवनों की स्थिति अब जर्जर होने के कगार पर है. कई विद्यालयों के सामने बड़ी-बड़ी झाड़ियां निकल आयी हैं. विद्यालय जर्जर होते जा रहे हैं. वहीं कई ग्रामीण इलाकों में आसपास के लोग विद्यालय भवन को अपने इस्तेमाल में ला रहे हैं. कुछ विद्यालयों को ग्रामीणों के द्वारा सामान रखने का स्थल बना दिया गया है.
सुखाया जा रहा धान, बांधे जा रहे मवेशी
लोहरदगा जिले के 176 विद्यालयों को दूसरे में मर्ज किया गया था. इन सभी विद्यालयों को शैक्षणिक सामग्रियों के साथ मर्ज विद्यालय में शिफ्ट कराया गया है. लोहरदगा में अब मर्ज हो चुके विद्यालयों के भवन खंडहर में बदलते जा रहे हैं और इनका दुरुपयोग किया जा रहा है. कहीं मवेशी बांधे जा रहे हैं, तो कहीं धान सुखाये जा रहे हैं. भवन रखरखाव के अभाव में जीर्णशीर्ण होने के कगार पर पहुंच गये हैं. वहीं शिक्षा विभाग वास्तविक स्थिति से अनभिज्ञ है, उसका दावा है कि कहीं पर कोई कब्जा नहीं है.
अधिकतर बच्चों की पढ़ाई छूटी, भवन भी होने लगे जर्जर
चतरा में 2019-20 व 2020-21 में 351 विद्यालय मर्ज किये गये. इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम थी, इस कारण इन्हें नजदीक के विद्यालयों में मर्ज किया गया. अब मर्ज विद्यालयों में कुछ बेकार हो गये हैं, तो कुछ निजी तौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं. तत्कालीन डीसी के निर्देश पर झारखंड शिक्षा परियोजना में मर्ज किये गये सभी विद्यालयों के भवनों को जेएसएलपीएस को सौंप दिया गया हैं. जिससे समूह की महिलाएं वहां बैठकर अपने कार्यों का निष्पादन कर सकें.
उधर दूसरे विद्यालयों के दूर होने से क्षेत्र के कई बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है. गिद्धौर की पहरा पंचायत के प्राथमिक विद्यालय मंगरा को नजदीकी विद्यालय केंदुआ में मर्ज किया गया है. उक्त विद्यालय का भवन बेकार पड़ा है और दिन-प्रतिदिन जर्जर होता जा रहा है. यहां दो भवन हैं, जिनमें एक भवन में ताला लटकता रहता है, जबकि दूसरा निर्माणाधीन है और जानवरों का बसेरा बना हुआ है. इसका ग्रामीण निजी कार्य में भी प्रयोग कर रहे हैं. भवन के एक कमरे में जेएसएलपीएस के महिला समूह की महिलाएं बैठक व अन्य कार्य करती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय बंद होने से बच्चों को करीब आधा किमी दूरी तय कर केंदुआ विद्यालय जाना पड़ रहा हैं.
लावालौंग में विद्यालय भवन बना पशुओं का बसेरा
लावालौंग प्रखंड की सिलदाग पंचायत स्थित सौरू प्राथमिक विद्यालय को नजदीकी नावाडीह मध्य विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है. इसका कारण नावाडीह विद्यालय से दूरी कम होना था. यहां बच्चों की संख्या 40 थी. विद्यालय बंद होने से भवन दिन-प्रतिदिन जर्जर होता जा रहा है. रात में विद्यालय भवन पशुओं का बसेरा जाता है. आसपास झाड़ियां उग आयी हैं. कुंदा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय पचरूखिया को आधा किमी दूरी पर स्थित टिकुलिया टोला विद्यालय में मर्ज किया गया है. प्राथमिक विद्यालय मुसटंगवा को एक किमी दूरी पर स्थित बैरियाचक में मर्ज कर दिया गया है. मुसटंगवा के कई बच्चों ने विद्यालय के दूर होने से पढ़ाई छोड़ दी है. जंगली रास्ता होने से बच्चे डर से विद्यालय नहीं जाते हैं.
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