झारखंड में भाषा विवाद अब लगातार बढ़ते जा रहा है. एक बार फिर से झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार इसको लेकर घिरी हुई है. सरकार ने भाषा विवाद को देखते हुए कई जिलों से भोजपुरी और मगही भाषा की मान्यता समाप्त कर दी है. इस संबंध में शुक्रवार देर रात आदेश भी जारी कर दिया गया है.
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किन जिलों से हटी
झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग ने शुक्रवार देर रात एक आदेश जारी किया. जिसके बाद राज्य में एक बार फिर से भाषा विवाद का मुद्दा गर्म हो गया. कार्मिक विभाग के आदेश में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की सूची जारी की गई है. ये सूची मैट्रिक और इंटर स्तर के प्रतियोगिता परीक्षाओं में जिला स्तरीय पदों के लिए जारी की गई है.
इस सूची में सरकार ने धनबाद और बोकारो में भोजपुरी और मगही को हटाने की मांग को मान लिया है. इस मांग को लेकर हो रहे आंदोलन को देखते हुए सरकार ने इन दोनों जिलों से दोनों भाषाओं को हटा दिया है. जबकि पहले 24 दिसंबर के आदेश में ये दोनों भाषाओं को शामिल रखा गया था.
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हर जिले में शामिल हुई ये भाषा
झारखंड सरकार ने नए आदेश में हर जिले की क्षेत्रीय भाषा में उर्दू को शामिल कर लिया है. रांची की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में नागपुरी, पंचपरगनिया, उर्दू, कुरमाली और बंगला को रखा है. वहीं लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा की क्षेत्रीय भाषा में उर्दू और नागपुरी भाषा को रखा गया है. जबकि पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूमि जिले की भाषाओं में कुरमाली, उर्दू और उड़िया को रखा गया है. हालांकि लातेहार में मगही, पलामू और गढ़वा जिले में मगही व भोजपूरी को क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया है.
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