गिरडीह के डुमरी प्रखंड के निजी अस्पताल के संचालक को प्रशासन का भय नहीं है। प्रशासन ऐसे अवैध इकाइयों को छापेमारी कर बंद करवाता है।
उसे सील किया जाता है, पर निगरानी के अभाव में ऐसे अस्पताल फिर खुल जाते हैं और मरीजों का दोहन शुरू हो जाता है। डुमरी में बाबा हॉस्पिटल उदाहरण है।
प्रशासन ने उसे सील किया था पर संचालक फिर उसे खोलकर चलाने लगे। प्रखंड का स्वास्थ्य महकमा इस पर निगरानी रखता तो वहां इलाजरत प्रसूता के नवजात की मौत नहीं होती।
अस्पताल बंद फिर भी हुआ प्रसव
बाबा नामक इस बंद हॉस्पिटल में नवजात की मौत होने का मामला प्रकाश में तब आया जब हॉस्पिटल में बगैर डॉक्टर के एक नर्स ने महिला का प्रसव कराया।
नवजात की स्थिति बिगड़ी व उसकी मौत हो गई। नवजात मो. इकलाख का पुत्र था। शनिवार को उसका जन्म हुआ था। सील अस्पताल को दिनदहाड़े चलाना विभागीय लापरवाही को दर्शाता है।
धुजाडीह में सील किए गए इस बाबा हॉस्पिटल में बड़े अक्षरों में डॉक्टरों का नाम अंकित कर फर्जी तरीके से अस्पताल का संचालन फिर से किया जा रहा था, जबकि पूर्व में अस्पताल के संचालक को विभाग ने अस्पताल को बंद रखने का नोटिस भी दिया था।
हाल ही में हुआ था सील
बताते चलें कि तत्कालीन एसडीएम प्रेमलता मुर्मू ने इस अस्पताल के दवाखाने व कई कक्षों को सील करते हुए विभाग को इस लापरवाही की जानकारी दी थी।
अब चिकित्सा पदाधिकारियों के मौन रहने से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। वही डुमरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी सह चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी मिली है।
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