एमजीएम अस्पताल की इमरजेंसी में मंगलवार रात 8 बजे से 8.30 बजे तक दो मरीजों की मौत हो गई। बुजुर्ग सतीश दुबे की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया। यह देख इमरजेंसी के सभी डॉक्टर वहां से भाग गए। इससे आधे घंटे तक मरीजों का इलाज बंद रहा। फिर पुलिस के मौके पर पहुंचने पर डॉक्टर आए और इलाज शुरू हुआ।
गम्हरिया निवासी 65 वर्षीय सतीश दुबे का इलाज पहले से एमजीएम अस्पताल में चल रहा था। तबीयत अधिक खराब होने पर 19 फरवरी की दोपहर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट हो गए, जहां उनका इलाज चल रहा था। वे ठीक भी हो रहे थे। सतीश दुबे के बेटे विवेक दुबे ने बताया कि पिता की स्थिति में सुधार हुआ था। मंगलवार शाम तक वे पूरी तरह से ठीक थे और अच्छा से बातचीत भी कर रहे थे। इस बीच सात बजे एक नर्स आई और इंजेक्शन दिया।
उसके 15 मिनट बाद उन्हें बेचैनी महसूस होने लगी। उन्हें सांस लेने में भी परेशानी होने लगी। इस दौरान मौजूद डॉक्टरों को बुलाया गया पर वे तुरंत नहीं आए। फिर करीब 8 बजे उनकी सांसें बंद हो गई। इसके बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।
इस बीच वार्ड में 40 वर्षीय एक अन्य मरीज की मौत हो गई, जिसकी देखभाल पत्नी अपने बच्चे के साथ कर रही थी। वहीं, सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत कराया पर मृतक के परिजन डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर देर रात अड़े रहे। अस्पताल अधीक्षक डाॅ. रविंद्र कुमार ने कहा कि इमरजेंसी वार्ड में मरीज की मृत्यु की सूचना मिली है। बुधवार को जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करेंगे।
70 बेड के इमरजेंसी में 90 से अधिक मरीजों का हो रहा इलाज
अस्पताल में मरीजों का लोड इतना अधिक है कि 50 बेड के इमरजेंसी में 90 से अधिक मरीजों का इलाज हो रहा है। बेड के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। वार्ड के डॉक्टर व नर्स कई बार इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दे चुके हैं, पर दूसरा कोई विकल्प नहीं होने से जैसे तैसे काम चल रहा है।
इमरजेंसी वार्ड के कर्मचारियों के अनुसार पिछले एक महीने से यह स्थिति है। हर दिन औसतन 90 मरीज एडमिट रह रहे हैं। मालूम हो कि इमरजेंसी के लोड को देखते हुए पिछले दिनों वार्ड का विस्तार कर अतिरिक्त 25 बेज लगाया गया है, पर वह पर्याप्त नहीं है।
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