लगातार छह माह और एक साल से खाद्यान्न का उठाव नहीं करने वाले अधिकांश लाभुक शहरी इलाके के निवासी हैं और इनमें भी अधिकांश एकल लाभुक हैं। अर्थात् एक कार्ड में सिर्फ एक ही व्यक्ति का नाम है। मानगो के 564 और जुगसलाई के 96 लोगों ने एक साल से खाद्यान्न का उठाव नहीं किया है। इसी प्रकार मानगो के 2031 और जुगसलाई के 651 ने छह माह से खाद्यान्न का उठाव करने में रुचि नहीं दिखाई है। उपायुक्त ने इन सभी के अलावा पूरे जिले के ऐसे लाभुकों के कार्ड जांच कर रद्द करने का आदेश दिया है।
80 से 90 प्रतिशत लोग शहरी क्षेत्र के
हालांकि इस मामले में आपूर्ति से जुड़े कर्मियों का कहना है कि राशन नहीं लेने वाले 80 से 90 प्रतिशत लोग शहरी क्षेत्र के हैं। और इनमें से भी अधिकांश ने कोरोना काल में कार्ड बनवाए हैं। तब इनमें से अधिकांश ने मुफ्त राशन की उम्मीद में कार्ड बनवाये थे।
दरअसल सरकार ने उस वक्त के नाजुक हालात को देखते हुए आदेश दिया था कि जिसने भी आवेदन दे रखा है, उन सभी का कार्ड बना दें। बहुत से लोगों ने इसका फायदा उठाया और एक ही परिवार के लोगों ने अलग-अलग कार्ड बनवा लिया। कर्मचारी कम होने के कारण उस वक्त सभी का भौतिक सत्यापन संभव नहीं था।
कार्ड चाहे पीएच हो या ग्रीन उस पर पांच किलो अनाज ही मिलता
समस्या यह है कि एक यूनिट का कार्ड चाहे पीएच हो या ग्रीन उस पर पांच किलो अनाज ही मिलता है। पीएच का अनाज तो आ रहा, पर पीएम गरीब कल्याण और ग्रीन कार्ड का अनाज नियमित रूप से नहीं मिल रहा। पीएच कार्ड में भी तीन-दो या फिर चार-एक के अनुपात में चावल-गेहूं मिल रहा है। इन वजहों से अपेक्षाकृत संपन्न कार्डधारक खाद्यान्न का उठाव नहीं कर रहे हैं।
पूर्व में हुई जांच में इस प्रकार के मामले मिले थे। ऐसे बहुत से लाभुकों के कार्ड रद्द किये जा चुके हैं। दोषी पाये जाने पर आगे भी कार्ड रद्द किये जाएंगे।–राजीव रंजन, जिला आपूर्ति पदाधिकारी।
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