जिले के ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए लाइफ लाइन 108 एंबुलेंस चालकों की हड़ताल से गरीब मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीमार लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं। सबसे अधिक परेशानी उन गरीब मरीजों को हो रही है, जिनके पास अस्पताल तक जाने के लिए साधन नहीं है। हड़ताल के चलते स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में 108 एंबुलेंस खड़ी कर दी गई है।
निजी वाहनों से भाड़े पर अस्पताल पहुंच रहे
इधर, मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। कई मरीज निजी वाहनों से भाड़े पर अस्पताल पहुंच रहे हैं। कई ऐसे मरीज भी हैं जिनको डॉक्टरों ने बड़े अस्पताल रेफर कर दिया गया है, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिलने के चलते वे अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं।
108 एंबुलेंस चालक और कर्मचारी चार महीने से बकाया वेतन के भुगतान की मांग पर सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठे हैं। एंबुलेंस चालकों का कहना है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। राज्य सरकार की ओर से अबतक हड़ताल खत्म कराने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ है।
उधार लेकर निजी वाहन से लेकर पहुंचे
सुंदरनगर के नीलडुंगरी निवासी रोहित सिंकू की तबीयत काफी खराब थी। परिजनों ने अस्पताल ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस में फोन लगाया। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। दिनभर एंबुलेंस का इंतजार किया। फिर 500 रुपए उधार लेकर निजी वाहन से अस्पताल ले गए।
पैसे नहीं होने के कारण सदर में पड़ी रही मरीज
बागबेड़ा के नागाडीह की दुलारी मुर्मू को दस्त की समस्या थी। बेटी फूलो मुर्मू किसी तरह से किराए पर निजी वाहन से उन्हें सदर अस्पताल ले गई। डॉक्टरों ने जांच के बाद एमजीएम रेफर कर दिया। पैसे नहीं होने और एंबुलेंस नहीं मिलने से सदर में ही मरीज पड़ी रही।
एंबुलेंस नहीं मिला तो ऑटो से पहुंचे अस्पताल
चांडिल निवासी पूजा को तेज बुखार था। परिजन एंबुलेंस सेवा का इंतजार कर रहे थे। उनको जानकारी मिली- एंबुलेंस सेवा बंद है तो पूजा को ऑटो से एमजीएम अस्पताल ले गए। पिता रघु कालिंदी ने बताया- आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। किसी तरह बीमार बेटी को अस्पताल ले गए।
इन मांगों पर हड़ताल पर हैं चालक और कर्मी
पांच महीने से वेतन देने, पीएफ काटने लेकिन वेतन नहीं देने, समय-समय पर वेतन का भुगतान करने, कोविड काल में काम करने के दौरान भुगतान दिए जाने समेत अन्य मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। चालकों ने कहा कि पांच माह से वेतन नहीं मिलने पर उनका घर चलाना मुश्किल हो गया है। शिकायत करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है।
सरकार की ओर से कोई फंड जारी नहीं किया गया है। इस स्थिति में एंबुलेंस चालकों को वेतन दिया जाना संभव नहीं है। -डॉ जुझार मांझी, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम
जबतक वेतन नहीं मिलेगा,हड़ताल खत्म नहीं होगी। हम सभी 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगे रहते है, लेकिन सरकार हमारा ख्याल नहीं रखती।-राकेश कुमार, एंबुलेंस चालक
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