पहले मानगो अंचल के काशीडीह, फिर घाटशिला अंचल के गुड़ाझोर के बाद अब मनपीटा गांव की सरकारी जमीन पर भी समेकित चालक प्रशिक्षण केन्द्र सह अनुसंधान (आइडीटीआर) का विरोध शुरू हो गया है। रविवार को मनपीटा गांव में ग्राम प्रधान रामचरण कर्मकार की अध्यक्षता में ग्राम सभा की एक अति आवश्यक बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि मनपीटा गांव में हैवी व्हीकल मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण से वे सहमत नहीं हैं। ग्राम सभा के अनुसार प्लाट संख्या 388, 49, 395 भूमि पर गोट टांड (देवस्थल), जाहेरथान और गोचर भूमि है। अंचलाधिकारी कार्यालय से सर्वसाधारण के नाम से जो नोटिस जारी किया गया है, वह नोटिस पेसा कानून 1996 का उल्लंघन है। नोटिस पारंपरिक ग्रामसभा मनपीटा के नाम से निर्गत होना चाहिए था।
उनका यह भी दावा है कि बीच में ग्रामीणों की कई एकड़ रैयती जमीन है। इसलिए इस स्थल पर किसी भी स्थिति में ट्रेनिंग सेंटर नहीं बन सकता है। गत 10 मई को जमशेदपुर के सीओ के हस्ताक्षर से एक नोटिस मनपीटा गांव में चिपकाया गया था जिसमें लिखा है कि खाता नंबर 173 और प्लाट नंबर 388, 49 और 395 मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण हेतु परिवहन विभाग, झारखंड सरकार को हस्तांरित किया जाना है। यदि किसी को इस हस्तांतरण पर कोई आपत्ति है तो 17 मई तक अंचल कार्यालय में आकर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
बैठक में मुख्य रूप से हुरलुंग पंचायत की मुखिया लीना मुंडा, पंचायत समिति सदस्य सुमित्रा देवी, वार्ड सदस्य रानीता सोरेन और गणमान्य लोग शामिल हुए।
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