एमजीएम अस्पताल में पदस्थापित रहे डॉ. मृत्युंजय कुमार सिंह की एमबीबीएस की डिग्री की जांच होगी। इसके लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने झारखंड के मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर को पत्र भेजा है और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता सदन कुमार ठाकुर के शिकायत पत्र के आधार पर एनएमसी ने उक्त निर्देश दिया है। पत्र में डॉ. मृत्युंजय पर आरोप है कि उन्होंने एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान पूरी अवधि का कोर्स पूरा नहीं किया। इसके बाद भी उन्हें एमबीबीएस की डिग्री मिली। शिकायत पत्र के मुताबिक, डॉ. मृत्युंजय ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 1986-87 बैच में नामांकन कराया था, लेकिन उनका नामांकन 28 जनवरी 1987 दिखाया गया है और परीक्षा पार्ट-2 का महीना मई 1991 उत्तीर्ण दिखाया गया है, जबकि नियमानुसार डॉक्टर की पढ़ाई के लिए साढ़े 5 साल की अवधि निर्धारित है, जिसमें साढ़े चार साल की पढ़ाई और एक साल का प्रशिक्षण व इंटर्नशिप शामिल है। डॉ. मृत्युंजय 4 साल 4 महीने में परीक्षा में बैठे, जो नियम के विरूद्ध है। सूचना अधिकार के तहत एमजीएम मेडिकल कॉलेज से सदन ठाकुर ने उक्त जानकारी जुटाई है।
मेरी डिग्री सौ प्रतिशत सही है : डॉ. मृत्युंजय
डॉ. मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि उनकी एमबीबीएस की डिग्री सौ प्रतिशत सही है। कॉलेज और विवि के नियम के अनुसार उन्हें उक्त डिग्री मिली है। यह मामला एक साजिश का हिस्सा है, जिसमें कुछ डॉक्टर ही शामिल हैं।
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