
जुगसलाई तोरोप परगाना बाबा दसमत हांसदा ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होता है तो आदिवासियों का मूल्य खत्म हो जाएगा। इसलिए सामाजिक व्यवस्था के नेतृत्व में संगठित होकर हूल के लिए तैयार रहना होगा। अगर केंद्र सरकार इसे नहीं रोकती है तो उसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा। हांसदा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बिल लागू करने के विरोध में रविवार को टाटा ऑडिटोरियम में आदिवासी संस्कृति एवं संवैधानिक अधिकार रक्षा समिति (कोल्हान प्रमंडल) की विचार गोष्ठी में संबोधित कर रहे थे।
इसमें कोल्हान भर के संथालियों ने भाग लिया था। वक्ताओ ने कहा कि 14 जून को भारतीय लॉ कमिशन ने देश में समान नागरिक संहिता के संबंध में पब्लिक नोटिस जारी किया है। सभी हितधारकों से इसके पक्ष-विपक्ष आदि पर 15 जुलाई तक विचार- प्रतिनिधित्व आमंत्रित किया गया है। यूसीसी पूरे देश के लिए एक कानून प्रदान करेगा जो सभी धार्मिक समुदायों पर उनके व्यक्तिगत पारिवारिक मामलों पर लागू होगा।
बोले – रूढ़ी प्रथा समाप्त हुई तो आदिवासी नहीं बचेंगे
हांसदा ने कहा समाज के सामाजिक व्यवस्था का संचालन रूढ़ी प्रथा के तहत होता है। रूढ़ी प्रथा समाप्त हुई तो आदिवासी नहीं बचेंगे। आदिवासी क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक-सांसदों को रूढ़ी प्रथा पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। 2005 में भी झारखंड सरकार ने गौ हत्या निषेध अधिनियम और मॉब लिंचिंग कानून द्वारा आदिवासियों की धार्मिक परंपराओ पर प्रहार किया था।
ये प्रस्ताव पारित
विचार गोष्ठी में यूसीसी का आदिवासी समुदाय द्वारा विरोध दर्ज करने, सभी माझी, पारगाना, मानकी, मुंडा, डोकलो, सोहोर, भूमिज समाज के अगुआ द्वारा अपने-अपने स्तर पर ग्रामसभा कर विधि आयोग को विरोध पत्र भेजने, विरोध में धरना प्रदर्शन, रैली निकालने व कोर्ट में अपील करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

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