दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज ने मैरिटल रेप को अपराध माना जबकि दूसरे जज ने यह कहकर असहमति जता दी कि यह संविधान का उल्लंघन नहीं करता है. इसकी वजह से अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है. वहीं मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में भेजा जाएगा.
दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजीव शकधर जहां वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को निरस्त करने के पक्षधर हैं, वहीं न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर का कहना है कि यह असंवैधानिक नहीं है. इसलिए इसे बड़ी बेंच को सौंपा गया है. पीठ ने याचिकाकर्ता को अपील करने की छूट दी है.
मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाए या नहीं इसपर दिल्ली हाईकोर्ट को आज फैसला सुनाना था। इस मामले में पहले केंद्र सरकार ने मौजूदा कानून की तरफदारी की थी लेकिन बाद में यू टर्न लेते हुए इसमें बदलाव की. हाई कोर्ट ने 21 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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