आप दो चक्का या फिर चार चक्का चलाते हुई आपको कभी न कभी ट्रैफिक पुलिस (traffic police) से पाला जरूर पड़ा होगा. स्थानीय थाना गाड़ी जांच के नाम पर लोगों से जुर्माने का डर दिखाकर मोल भाव कर मोटी रकम कमाते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि इन पुलिसकर्मियों को ओवरलोडिंग इंश्योरेंस व परमिट जांच करने का अधिकार नहीं है. इसके बावजूद इंश्योरेंस जांच के नाम पर बाइक, कार, बड़ी गाड़ियों को पकड़ते हैं और जुर्माना भरने को कहते हैं.
लेकिन सच्चाई यह है कि इनके पास इन धाराओं के लिए परिवहन विभाग (transport Department) के अधिकार तक नहीं दिया है.अगर हम परिवहन विभाग के नियम को देखें तो कई ऐसे कागजात हैं, जिसकी जांच ट्रैफिक पुलिस व स्थानीय थाना को नहीं करनी है. ऐसे में परिवहन विभाग ने सभी जिलों को धाराओं की कॉपी भेजी है. जिसमें उन उन्हें धाराओं के साथ उसमें शक्ति के बारे में अच्छे से विस्तार से बताया गया है. जिन धाराओं में उन्हें जुर्माना लेना है. पटना पुलिस हर महीने इस तरह की 20 से 40 अनुशंसा DTO को करती है.
अन्य जिलों में पुलिस इस मामले में सुस्त है.
साथ ही परिवहन विभाग ने यह भी कहा है कि अपराध एवं यातायात नियंत्रण (traffic control) के लिए राज्य में पदस्थापित पुलिसकर्मियों को मोटरयान अधिनियम 1988 के तहत दंड लगाने का अधिकार दिया गया है. लेकिन गाड़ियों की जांच के दौरान किन-किन धारा का उपयोग पुलिसकर्मियों को करना है इसका भी उल्लेख किया गया है. पुलिसकर्मियों को गाड़ी के सुचारु परिचालन बनाये रखने के लिए ही लोगों से जुर्माना वसूलने की शक्ति दी गयी है, लेकिन पुलिस उन धाराओं में भी जुर्माना लगाने की बात करती है,
जो उन्हें दी ही नहीं गई है.ऐसे में पुलिसकर्मी जांच के नाम पर मनमानी करते हैं अगर इन पुलिसकर्मियों को बिना हेलमेट या सीट बेल्ट पहने कोई गाड़ी मिल जाए या फिर उन्हें पकड़ लें तो पुलिस उस वाहन के चालक पर इंश्योरेंस की धारा 196, परमिट की धारी 192-ए, ओवरलोड की धारा 194-ए और फिटनेस प्रमाण पत्र की धारी 192 की मांग करते हैं जोकि इनका अधिकार नहीं है. वायावसायिक गाड़ियों से तो पुलिसकर्मी फिटनेस की भी मांग करते हैं.
गाड़ी मालिकों को इन दास्तावेजों के नहीं होने पर भारी भरकम जुर्माने की बात कह तोल-मोल कर लोगं से पैसे लेकर बिना रसीद के ही उसे छोड़ दे रहे हैं. इससे न केवल लोग परेशान हो रहे हैं.ऐसे में आपको यह भी जान लेने की जरूरत हैं कि अगर किसी भी चेकिंग प्वांइट पर सब इंस्पेक्टर या उसेस ऊपर का अधिकारी आप पर चालन करता है तो यह ठीक है.
पर सब इस्पेक्टर से नीचे की रैंक के पुलिसकर्मी कहीं भी चालान नहीं काट सकते हैं. इसलिए जरूरी होता है कि ऐसे चेकिंग प्वाइंट जहां पर ट्रैफिक पुलिस वाहन चालकों को यातायात के नियम पूरे न करने पर चालान की कार्रवाई कर रही है. वहां इंचार्ज में सब इंस्पेक्टर या उससे ऊंची रैंक के अधिकारी का होना जरूरी है.
नितीश कुमार
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