उत्तराखंड में बड़ी संख्या में जल विद्युत परियाजनाएं बनीं हैं. लेकिन इसमें सबसे बड़ी परियोजना है, टिहरी जल विद्युत परियोजना. टिहरी बांध जहां भारत का सबसे बड़ा बांध है,वहीं दुनिया में इसका नम्बर 5 वां है. ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं पर कई सवाल उठने लगे हैं. जलविद्युत परियोजनों पर उठ रहे सवालों के बीच विश्व के सबसे बड़े बांधों में एक टिहरी बांध पर भी चर्चा तेज है, जिस टिहरी बांध को 24 सौ मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए बनाया गया था.
पहले चरण में हजार मेगावॉट का टिहरी बांध निर्माण होना था, जबकि दूसरे चरण में 400 मेगावॉट का कोटेश्वर बांध बनना था. वहां अभी भी लक्ष्य के मुताबिक बिजली उत्पादन नही हो रहा है. यही नहीं, माना जाता है कि अगर बड़ी तीव्रता का भूंकप आया तो डैम भी टूट सकता है.जबकि अंत में हजार मेगावॉट की टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना बननी थी. लेकिन जिस योजना को बनाने में एक पूरी सभ्यता को डूबा दिया गया.
यही नहीं अन्य 88 गांव भी आंशिक रूप प्रभावित हुए हैं. हालात ये हैं कि टिहरी बांध बनने से 40 गांवों में हर समय खतरा मंडराया हुआ है. इन गांवों में अक्सर जमीन दरकने की घटनाएं होती रहतीं हैं. टिहरी बांध में तीन चरणों में काम होना था. वहां परियोजना बनने के 17 साल बाद मात्र हजार मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा है. टिहरी बांध को बनाने में जहां टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा, वहीं 37 गांव पूरी तरह डूब गए.
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