विदिशा में बगुलों के बैठने और रहने से पशु पालन विभाग के अधिकारियों को दुर्गंध आती थी इसलिए बगुलों के घौंसलों और बच्चों का ठिकाना छीन लिया गया. करीब 30 से ज्यादा बगुलों और उनके नन्हें बच्चों ने पेड़ कटने के साथ ही नीचे गिरकर दम तोड़ दिया. पेड़ कटने के बाद भी कई बगुले अपना आशियाना छोड़ने को तैयार नहीं थे और वे काटी हुई शाखाओं पर ही काफी देर तक मायूस से बैठे रहे.
पशु पालन और उनके जीवन रक्षा का दायित्व निभाने वाले विभाग के परिसर में ही ये बगुले और उनके शिशु तड़पते रहे. लेकिन फिर भी पेड़ों को काटकर बगुलों की बलि ले ली गई. पेड़ कटने के बाद भी कई ने अपने घर को नहीं छोड़ा और वे कटी हुई शाखाओं के साथ जमीन पर गिरते गए. कई कुछ कटी हुई शाखाओं पर ही बैठे है जैसे कह रहे हों हमें मत निकालो यहां से यह हमारा घर है, पेड़ काट दोगे तो हम और हमारे बच्चे कहां जाएंगे?
लेकिन किसी को इन पर तरस नहीं आया. अधिकारियों के आदेश पर आरा चलता रहा और बच्चे, अंडे और बगुले जमीन पर गिरकर दम तोड़ते रहे. बाद में ये लकडियां ट्राली में भरकर कहीं भिजवा दी गईं. लेकिन काफी देर तक जमीन पर गिरे पड़े बगुले ठीक उसी तरह तड़पते रहे जैसे कोई इंसान अपना घर उजड़ जाने के बाद बेहोश होकर सुध बुध खो देता है.
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