वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के उत्तरी तरफ की भूमि जो कि विश्वविद्यालय की है, उस पर किसी और ने अपना नाम चढ़वा लिया है। कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने भूमि पर फर्जी तरीके से नाम चढ़ाने में सहयोग करने वाले राजस्व विभाग और जमीन के कागजात पर अपना नाम चढ़वाने वाले अवनीद्र दत्त दुबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है। विश्वविद्यालय के प्रभारी संपत्ति अधिकारी डॉ. विमल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि राजा यादवेंद्र दत्त दूबे ने पंच मंदिर स्थित भाग को दान पत्र के माध्यम से विधिक रूप से दान दिया था। उत्तरी भाग में 2.50 तथा 0.27 योग 2.7725 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि पर वाराणसी के राजस्व विभाग की मिलीभगत से फर्जी तौर पर राजा यादवेंद्र दत्त दुबे के बेटे अवनींद्र दत्त दुबे ने अगस्त 2019 में अपना नाम अंकित करवा लिया है।
शेष भूमि को (रुपये3,50,7,08=00) 3 लाख 50 हजार 708 रुपये में 21 फरवरी 1955 को विधिक रूप से क्रय किया गया था, जिसकी पक्की रसीद व दस्तावेज संपत्ति विभाग में उपलब्ध है। इसको तत्कालीन प्रथम कुलपति एवं उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डॉ. आदित्य नाथ झां ने संपूर्ण विधिक कार्यवाही कर नियमानुसार अधिग्रहीत किया।
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि उस नंबर की खतौनी निकाले जाने पर पता चला कि जौनपुर, रासमंडल, मछरहट्टा निवासी अवनींद्र दत्त दुबे ने वर्ष 2019 में खतौनी में अपना नाम चढ़वा लिया है। कुलपति ने बताया कि इसकी सूचना राजभवन और प्रदेश सरकार को दी गई।
विश्वविद्यालय का नाम दर्ज कराने के लिये गत दिनों कुलपतियों की बैठक में मुख्यसचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने वाराणसी जिला प्रशासन को सहयोग करने का निर्देश दिया था। विश्वविद्यालय का नाम दर्ज कराने के लिये एक समिति का गठन भी किया गया है, जो कि विधिक रूप से विश्वविद्यालय के अधिवक्ता के सहयोग से नाम दर्ज कराएगी।
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News by Ishika Kumari
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