*–डिजिटल व सोशल मीडिया, इंटरनेट का सदुपयोग सीखना आवश्यक, गलत व भ्रामक सूचनाओं का प्रसार समाज के लिए खतरनाक*
*– फ़ैक्टशाला इंडिया मीडिया लिटरेसी नेटवर्क देशभर में युवाओं व लोगों को फेक न्यूज़ के खतरों से बचने के लिए कर रहा है जागरूक*
*– गूगल फैक्टचेक टूल्स एवं क्रिटिकल थिंकिंग एप्रोच की मदद से फेक खबरों की की जा सकती है पहचान*
मुसाबनी : डुमरिया के संदीप भगत एक बार व्हाट्सएप पर सूचना मिलने पर भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए रांची चले गए थे, लेकिन वहां जाकर पता चला कि वैसी कोई परीक्षा वहां पर आयोजित नही की गई है, वो भ्रामक सूचना का शिकार हुए थे। वही पारूलिया गांव की निकिता बताती है, उनके गांव में एक व्यक्ति को व्हाट्सएप पर बड़ी रकम वाली लॉटरी जीतने की सूचना मिली थी, जो बाद में गलत निकली। ग्रामीण युवाओं को डिजिटल मीडिया एवं सूचना साक्षरता के माध्यम से फेक न्यूज़ के ख़तरों एवं उससे बचाव हेतु कोड़ाशोल प्राथमिक विद्यालय, मुसाबनी में फ़ैक्टशाला न्यूज़ एवं इंफोर्मेशन साक्षरता कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक सचिव तरुण कुमार ने बतौर फ़ैक्टशाला प्रशिक्षक युवाओं को अहम जानकारियां दी। कार्यशाला के दौरान बताया की वर्तमान जीवन में डिजिटल माध्यमों व सोशल मीडिया का प्रभाव हम सभी के जीवन पर बेतहाशा रूप से बढ़ गया है। डिजिटल माध्यमों ने सूचना के आदान प्रदान को बेहद तेज और आसान बना दिया है |
लेकिन डिजिटल माध्यम गलत व भ्रामक सूचनाओं के प्रसार का भी बड़ा माध्यम बन गए है। गलत सूचनाओं का प्रतिकूल असर भी समाज पर पड़ रहा है, डिजिटल माध्यम से फैलने वाले गलत ख़बर या अफवाह कभी-कभी खतरनाक रूप भी अख्तियार कर लेते है, जिससे समाज को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
कार्यशाला में उदाहरण देते हुए बताया गया कि
कोरोना महामारी के समय वैक्सीन समूचे मानवता के लिए नई आशा लेकर आया था, लेकिन शुरुआती समय मे सोशल मीडिया पर वायरल कई अफवाहों के चपेट में आकर माहवारी के प्रक्रिया से गुजर रही महिलाएं वैक्सीन लेने से बच रही थी। इसी तरह व्हाट्सएप्प, फेसबुक जैसे लोकप्रिय ऑनलाइन सूचना माध्यमों पर तैरती सही गलत भ्रामक सूचनाओं के कारण समाज को लगातार कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, कई मामलों में लोग फाइनेंसियल फ्रॉड का शिकार हो जाते है, तो कई मामलों में अफवाहों के कारण समाज की शांति और विधि व्यवस्था भी प्रभावित होती है।
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि अफवाहों को फैलाने के लिए नकली खबरों का भी सहारा लिया जाता है। इन अवांछित स्थितियों से बचने के लिए लोगों में सूचनाओं और खबरों की सत्यता की पहचान करने की क्षमता विकसित होनी अब अहम हो चला है। इसी मकसद के साथ फ़ैक्टशाला इंडिया मीडिया लिटरेसी नेटवर्क, इंटरन्यूज एवं डाटालीडस की पहल पर समूचे देश भर में युवाओं, लोगों और समुदायों को जागरूक करने हेतु न्यूज़ एवं इंफोर्मेशन साक्षरता मुहिम देश भर में चलाई जा रही है।
समाज व लोगों को फेक न्यूज के कारण व्यक्तिगत या सार्वजनिक नुकसान ना उठाना पड़े, इसके लिए डिजिटल माध्यमों के सकारात्मक उपयोग व सूचनाओं के पहचान करने का कौशल सीखना भी अब बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। कार्यशाला के दौरान गूगल फैक्टचेक टूल्स का सहारा लेकर नकली खबरों, फ़ोटो, वीडियो की पहचान करने की तकनीक बताई गयी, वही बताया गया की भ्रामक खबरों की पहचान करने व सही निर्णय लेने हेतु तकनीक का सहारा लेने के साथ-साथ खुद में क्रिटिकल थिंकिंग जैसे जीवन कौशल को भी विकसित करना कारगर होगा।
युवाओं को बताया गया
सोशल मीडिया पर वैसी किसी भी सूचना को साझा करने या फॉरवर्ड करने से बचना चाहिए, जो विश्वस्त ना हो, ऐसा कर हम भ्रामक सूचनाओं को फैलाने में सहायता करते है। मौके पर रामदास महली, बैद्यनाथ हांसदा, बासेत मार्डी समेत मुसाबनी व डुमरिया प्रखंडों के 25 से ज्यादा युवक व युवतियां उपस्थित थे।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले युवाओं ने कार्यशाला को मोबाइल पर प्राप्त सूचनाओं के प्रति सोच बदलने वाला बताया। कहा कि पहले वह मोबाइल पर प्राप्त हर बात पर भरोसा कर लेते थे, लेकिन सूचना को इस्तेमाल करने से पहले अपने सामान्य ज्ञान और तकनीक के माध्यम से उसके सत्यता और सूचना के स्त्रोत की जांच करनी भी जरूरी है।
युवाओं के आग्रह पर फ़ैक्टशाला न्यूज़ एवं इंफोर्मेशन साक्षरता कार्यशालाये समय-समय पर ऑनलाइन आयोजित की जाती है। संबंधित जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक युवा, व्यक्ति या संगठन +91-8797874082 पर सम्पर्क कर सकते है।
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