जमशेदपुर। राज्य के निजी अस्पतालों का आयुष्मान भारत योजना के तहत करोड़ों की राशि राज्य सरकार के पास बकाया है। जिसके कारण कई निजी अस्पतालों और डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज बंद करने की चेतावनी दी है। राजधानी राँची समेत जमशेदपुर के कई बड़े निजी अस्पतालों के संचालकों और डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें अपने कर्मचारियों का वेतन देने के लिए बैंक से कर्ज लेना पड़ रहा है।
वहीं बड़े अस्पतालों का सरकार के पास 6 से 7 करोड़ और छोटे अस्पतालों का डेढ़ से 2 करोड़ रुपये बाकी है। राज्य में लगातार गिर रही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सूबे की मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर हमला बोलते हुए इसे राज्य सरकार की बड़ी विफलता बताया।
सोमवार को झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने इस बाबत प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर सरकार की प्राथमिकता पर सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जब चौथी लहर आने की संभावना दिखाई दे रही है तो ऐसी स्थिति के बीच भुगतान ना होने से अस्पताल द्वारा आयुष्मान भारत योजना में इलाज के लिए हाथ खड़े कर देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि जब केन्द्र सरकार ने पूरे पैसे भेजे हैं तो राज्य सरकार की प्राथमिकता किन कार्यों में है।
श्री षाड़ंगी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार हो गयी है। हर मामले में केन्द्र सरकार को कोसने की मानसिकता लिए सरकार के मंत्री अब क्यों मौन धारण किये हुए है। उन्हें यह बताना चाहिए कि जब पूरी दुनिया में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा था तब राज्य सरकार बजट की प्रस्तावित राशि को भी खर्च करने में असमर्थ थी।
कुणाल षाड़ंगी ने स्वास्थ्य सुविधाओं के बिगड़ते हालात के बीच मुख्यमंत्री, मंत्री के लिए महंगे कार खरीदने पर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत उपयोग के लैंड रोवर, मर्सिडीज बेंज, फॉर्च्यूनर एवं मंत्रियों के लिए लग्ज़री कार और करोड़ो के आलीशान बंगले बनवा रही है। तो वहीं, दूसरी ओर राज्य की गरीब जरूरतमंद मरीजों को कर्ज ले कर अथवा अन्य तरीके से अपना इलाज कराने के लिए विवश होना पड़ रहा है या तो उन्हें इलाज करवाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
श्री षडंगी ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बयान को भी आड़े हाथों लिया जिनमें उन्होंने कहा था कि ‘इलाज के लिए किसी को बाहर ना जाना पड़े, सरकार इसकी चिंता कर रही है।’ उन्होंने कहा कि अब राज्य में इससे विकट स्थिति देखने को नही मिल सकती है जहां अस्पताल ने इलाज करने में अपने हाथ खड़े कर दिए हो। पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने सरकार से हुए मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द बकाए रकम का भुगतान किया जाए जिससे अस्पताल प्रबंधक बिना किसी रुकावट के मरीजों का सुचारू रूप से बेहतर इलाज कर सके।
ज्ञात हो कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में 770 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से सूचीबद्ध है, जिनमें 549 प्राईवेट और 221 सरकारी अस्पताल शामिल है। इसके अतिरिक्त 55 भारत सरकार के अस्पताल भी सूचीबद्ध है।
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