जमशेदपुर। राज्य के निजी अस्पतालों का आयुष्मान भारत योजना के तहत करोड़ों की राशि राज्य सरकार के पास बकाया है। जिसके कारण जमशेदपुर सहित प्रदेश के निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत मरीजों को लाभ मिलना बंद हो गया है। भाजपा झारखंड प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने अस्तपालों में आयुष्मान योजना के तहत इलाज ना होने से राज्य सरकार पर हमला बोला है।
पिछले कई महीनों से राज्य सरकार द्वारा बीमा की राशि भुगतान नही किये जाने से जमशेदपुर में ब्रह्मानंद, मेड्रिटिना समेत कई अन्य निजी अस्पतालों ने अब आयुष्मान योजना से इलाज करने में हाथ उठा दिए हैं। सोमवार को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि दर्जनों गरीब परिवार आयुष्मान भारत योजना से इलाज की आस लेकर निजी अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं।
लेकिन कहीं उनका इलाज नहीं हो रहा है। सभी निजी अस्पतालों ने बकाया भुगतान की मांग को लेकर आयुष्मान से इलाज बंद कर दिया है। राज्य सरकार के संवेदनहीनता के करण मरीजों के साथ हो रहा ऐसा व्यवहार बहुत ही दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हृदय रोग से संबंधित स्टेंट और अन्य उपकरण की सप्लाई भी कंपनियों ने भुगतान नही मिलने के कारण बंद कर दिया है।
श्री षाड़ंगी ने कहा कि राज्य सरकार गरीब जनता के जान से खिलवाड़ कर रही है। झारखंड के मरीज आयुष्मान योजना के तहत इलाज हेतु किसी अन्य राज्यों में नही जा सकते। जिस कारण उन्हें अपने ही प्रदेश में पराया बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में जरूरतमंद मरीज किनके पास जाए। कहा कि योजना में हजारों मरीजों में अधिकांश वह मरीज हैं, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। गरीब लाभार्थी आयुष्मान योजना के बिना निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग पर भी हमला बोलते हुए कहा कि
स्वास्थ्य मंत्रालय में भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार हो गयी है। हर मामले में केन्द्र सरकार को कोसने की मानसिकता लिए सरकार के मंत्री अब क्यों मौन धारण किये हुए है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि एक ओर राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं ध्वस्त हो रही है। तो दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री महंगे कार की सवारी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत उपयोग के लिए लैंड रोवर, मर्सिडीज बेंज, फॉर्च्यूनर एवं मंत्रियों के लिए लग्ज़री कार और करोड़ो के आलीशान बंगले बनवा रही है। तो वहीं, दूसरी ओर राज्य की गरीब जरूरतमंद मरीजों को कर्ज ले कर अपना इलाज कराने के लिए विवश होकर दर-दर भटकना पड़ रहा है। श्री षाड़ंगी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज शीघ्र प्रारंभ नही करती है तो इस मामले को लेकर न्यायालय की शरण में जाएंगे।
बता दें कि इस योजना के तहत मरीजों के इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान इंश्योरेंस कंपनियां सरकार के साथ हुए करार के आधार पर करती हैं। झारखंड में इंश्योरेंस कंपनी के साथ सरकार का यह करार 22 सितंबर 2021 को ही खत्म हो गया। इससे राज्य में आयुष्मान योजना के 57 लाख लाभुक परिवारों की पॉलिसी लैप्स हो गयी। बढ़ते दबाव के बीच इसे फरवरी 22 तक एक्सटेंशन मिला, लेकिन इस अवधि के प्रीमियम के सैकड़ों करोड़ का भुगतान नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में 770 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से सूचीबद्ध है, जिनमें 549 प्राईवेट और 221 सरकारी अस्पताल शामिल है। इसके अतिरिक्त 55 भारत सरकार के अस्पताल भी इसमें सूचीबद्ध हैं।
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