बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त रखने का दावा भले ही नीतीश सरकार की तरफ से किया जाता हो लेकिन सरकार के इन दावों की हकीकत नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट में खोलकर रख दी है. इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 80 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जिनको सरकारी हेल्थ सिस्टम पर भरोसा नहीं. सर्वे बताता है कि राज्य में बीमार पड़ने के बाद 80 फ़ीसदी लोग सरकारी अस्पताल की तरफ नहीं जाते, इसकी वजह बिहार में स्वास्थ्य सेवा का बेहतर नहीं होना है.
लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में सही तरीके से देखभाल नहीं होती और इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. सरकारी हेल्थ सिस्टम को लेकर उदासीनता के पैमाने पर बिहार सबसे ऊपर है इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है.
50 फीसदी लोग ही सरकारी अस्पतालों का उपयोग करते
उत्तर प्रदेश 75 फीसदी लोग सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग नहीं करते हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के पांचवें राउंड की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर 50 फीसदी लोग ही सरकारी अस्पतालों का उपयोग करते हैं. सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग न करने के तीन प्रमुख कारण है. पहला और सबसे सामान्य कारण है, अच्छे तरीके से देखभाल न होना. बिहार के अंदर 62 फीसदी लोगों ने कहा है कि सरकारी अस्पतालों में देखभाल की खराब क्वालिटी के कारण वे नहीं जाते. दूसरा कारण लंबे समय तक वेटिंग है. बिहार में 45 फीसदी लोगों के.
मुताबिक सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए लंबा इंतजार करना होता है. तीसरा कारण आसपास सरकारी अस्पताल का नहीं होना है. 37 फीसदी लोगों ने कहा है कि सरकारी अस्पताल नजदीक में नहीं रहने के कारण वह नहीं जाते हैं. इसके अलावा 27 फीसदी लोगों ने कहा कि अस्पतालों की टाइमिंग सुविधाजनक नहीं है. 21 फीसदी ऐसे लोग जिनका कहना है कि स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं रहते हैं.
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