आमतौर पर आपने खबरें सुनी होंगी कि फलां अदालत ने पति को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता दे. लेकिन औरंगाबाद में अलग मामला सामने आया है. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच (Aurangabad High court) ने एक महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को 3 हजार रुपये गुजारा भत्ता (Alimony) दे |
महिला जिस स्कूल में टीचर (Teacher) की नौकरी करती है, उसे भी कोर्ट ने निर्देश दिया कि महिला की सैलरी से हर महीने 5 हजार रुपये काटे जाएं और उन्हें अदालत में जमा कराया जाए. ऐसा इसलिए कि महिला ने अदालत के आदेश के बावजूद अगस्त 2017 से अपने अलग रह रहे पति को गुजारा भत्ता नहीं दिया है. हाईकोर्ट ने ये आदेश देते हुए महिला की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि उसका पति से तलाक पहले ही हो चुका था और गुजारा भत्ता देने का आदेश उसके बाद जारी हुआ था |
महिला की सैलरी से काटें 5 हजार रुपये महीना
औरंगाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने इस केस में नांदेड़ (Nanded) की निचली अदालत के आदेशों को सही करार दिया. नांदेड़ में सेकंड जॉइंट सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने अगस्त 2017 में महिला को आदेश दिया था कि केस की सुनवाई पूरी होने तक वह अपने पूर्व पति को हर महीने 3 हजार रुपये का अंतरिम गुजारा भत्ता दे क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और महिला स्कूल में टीचर की नौकरी करती है. जब महिला ने इस आदेश का पालन नहीं किया तो अदालत ने दिसंबर 2019 में उसके स्कूल की हेडमास्टर के नाम आदेश जारी किया कि वह हर महीने 5 हजार रुपये महिला की सैलरी से काटकर कोर्ट में जमा कराए क्योंकि उसने पिछला गुजारा भत्ता भी नहीं दिया है|
तलाक के बाद भी मिल सकता है भत्ता
महिला ने इस आदेश के खिलाफ औरंगाबाद हाईकोर्ट में अपील की. उसने अपनी दलील में कहा कि उसकी शादी 1992 में हुई थी, लेकिन कुछ समय बाद ही वह अलग हो गई. 2015 में अदालत ने उनका तलाक भी मंजूर कर लिया था. नांदेड़ सिविल जज का आदेश तलाक की डिक्री पारित होने के बाद आया है, जो कानून की नजर में ठीक नहीं है. इस पर पति की तरफ से हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 का हवाला देते हुए कहा गया है कि पति या पत्नी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अदालत उनमें से किसी को भी गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकता है और ये आदेश उनके बीच तलाक होने से प्रभावित नहीं होता |
नांदेड़ कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट ने सही बताया
औरंगाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 24 और 25 को एक साथ पढ़ने से पता चलता है कि अगर पति या पत्नी में से किसी एक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और दूसरे की माली हालत अच्छी है तो पहला पक्ष गुजारे भत्ते की मांग कर सकता है. यह भत्ता केस में अंतिम फैसला आने तक या हमेशा के लिए भी हो सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस में पति की गुजारे भत्ते की मांग पर अंतिम फैसला आना बाकी है. तब तक के लिए महिला को आदेश दिया जाता है कि वह पूर्व पति को अंतरिम तौर पर 3 हजार रुपये महीना गुजारा भत्ता दे. इस बारे में नांदेड़ कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है |
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!