यह नदी है कर्मनासा जो उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच बहती है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इस नदी के पानी को छू भर लेता है उसका सत्यानाश हो जाता है. इस नदी के बारे दंत कथाएं प्रचलित हैं. यहां तक कि इस नदी के पानी का इस्तेमाल भोजन बनाने के लिए भी लोग नहीं करते थे.आपको पता है कि भारत में ये एक ऐसी भी नदी है जिसे शापित नदी माना जाता है. इसके बाद यह नदी यूपी में सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है. फिर बिहार में ही बक्सर के समीप गंगा नदी में जाकर मिल जाती है.
ऐसी मान्यता है कि सत्यव्रत यानी त्रिशंकु नाम के राजा ने गुरु वशिष्ठ से शरीर के साथ स्वर्ग में जाने की इच्छा जाहिर की तो तपस्या के बाद ऐसा संभव हो गया लेकिन वहां से इंद्र ने उन्हें वापस भेज दिया और वे उलटे ही आसमान में लटके रह गए. कहा जाता है कि उनके मुंह से लार टपकने लगी और इससे एक नदी बन गई. फिर खुद गुरु वशिष्ठ ने सत्यव्रत को श्राप दे दिया और अब मान्यता है कि इसीलिए कर्मनाशा नदी इसी श्राप की वजह से नदी शापित है.
कहा जाता है कि इस नदी के पानी को छू भर लेता है उसका बना बनाया काम भी बिगड़ जाता है. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक यह भी मान्यता है कि कर्मनाशा नदी के पास बौद्धों भिक्षुओं का निवास था और हिंदू धर्म को मानने वाले खुद को बौद्ध भिक्षुओं से दूर रखने के लिए कर्मनाशा नदी को अपवित्र कहने लगे. ऐसा माना जाता है कि इसके बाद इस तरह की मान्यता सामने आई थी. धीरे-धीरे लोग इसे अपवित्र मानने लगे थे.
नदी के बारे एक और दंत कथा कही जाती है कि प्राचीन समय में लोग यहां पर सूखे मेवे खाकर रह जाते थे लेकिन इस नदी के पानी का इस्तेमाल भोजन बनाने के लिए नहीं करते थे. इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि कोई हरा-भरा पेड़ भी इस नदी को छू ले तो वह भी सूख जाता है.
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