“रिकॉर्ड का गैर-रखरखाव भ्रूणहत्या के अपराध का सूचक है ना कि सिर्फ लिपिकीय त्रुटि।”
क्या है ये एक्ट?
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
SC:”अधिनियम में दंड का प्रावधान है उचित”
इस संबंध में SC के एक पीठ ने कहा कि, “अधिनियम की धारा 23, जो अपराधों के दंड का प्रावधान करती है, अधिनियम के अन्य अनुभागों की सहायता के लिए उचित है। यह किसी भी चिकित्सा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, पंजीकृत चिकित्सक के लिए या ऐसा व्यक्ति जो जेनेटिक काउंसलिंग सेंटर, जेनेटिक क्लिनिक या जेनेटिक लैबोरेटरी का मालिक हो और वह अपनी पेशेवर या तकनीकी सेवाओं का प्रतिपादन करता हो या उक्त स्थान पर हो, चाहे मानदेय के आधार पर या अन्यथा एक्ट के किसी भी प्रावधान या नियमों का उल्लंघन करता हो तो सजा का प्रावधान करता है।”
फॉर्म ‘एफ’ लिपिक परीक्षण के लिए है एक शर्त
इस फैसले में पीठ ने कहा कि, “फॉर्म ‘एफ’ लिपिक आवश्यकता नहीं है बल्कि परीक्षण के लिए एक शर्त है। फॉर्म ‘एफ’ में सामग्री का जिक्र करते हुए, यह कहा गया कि यदि फॉर्म में किसी भी जानकारी से बचा जाता है तो यह धारा 4 के प्रावधानों का उल्लंघन होगा और इसका वह परिणाम हो सकता है जो धारा 6 के तहत निषिद्ध है। यह कहा गया है कि, ‘यदि मामले में संकेत और जानकारी को सुसज्जित नहीं किया जाता है, जैसा कि फॉर्म ‘एफ’ में प्रदान किया गया है तो परीक्षा/प्रक्रिया शुरू करने से पहले की स्थिति अनुपस्थित होगी।
डायग्नोस्टिक टेस्ट/प्रक्रिया क्यों की गई, यह पता लगाने के लिए फॉर्म ‘एफ’ के अलावा कोई अन्य पैरमीटर नहीं है। ऐसे में इस तरह की एक महत्वपूर्ण जानकारी को अस्पष्ट या फॉर्म से गायब रखा जाता है तो यह अधिनियम के मुख्य उद्देश्य और सुरक्षा उपायों को पराजित करेगा। इसके कारण अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन की जाँच करना असंभव हो जाएगा। यह फॉर्म भरना केवल लिपिक का काम नहीं है, बल्कि यह परीक्षण/प्रक्रिया के लिए एक पूर्व शर्त है।”
फॉर्म एफ को भरना सेंटर में कार्यरत लोगों की जिम्मेदारी
फॉर्म ‘एफ’ भरना उस व्यक्ति की जिम्मेदारी है जो इस तरह के परीक्षण का कार्य कर रहा है, अर्थात, आवश्यक जानकारी भरने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ/मेडिकल जेनेटिकलिस्ट/रेडियोलॉजिस्ट/बाल रोग विशेषज्ञ/क्लिनिक/केंद्र/प्रयोगशाला के निदेशक इसके लिए जिम्मेदार हैं।
इसके अलावा और कुछ नहीं है जिसके तहत रिकॉर्ड बनाए रखा जा सके और जिसके आधार पर काउंटर-चेक बनाया जा सके। अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए कोई अन्य पैरामीटर या मापदंड नहीं है।दरअसल फॉर्म ‘एफ’ गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासोनोग्राफी आयोजित करने के लिए सांकेतिक सूची देता है।
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