महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल के नए भवन में 20 बेड का एनआइसीयू (न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट) और पीआइसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) बनकर तैयार हो गया है। गुरुवार से नए यूनिट में इलाज भी शुरू हो गई है।अगस्त 2017 में एमजीएम में एक माह में 60 बच्चों की मौत का मामला उठा था, जो काफी चर्चा में रहा।
केंद्र सरकार व हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
केंद्र सरकार से लेकर हाईकोर्ट व राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव सुधीर त्रिपाठी ने भी अस्पताल का निरीक्षण किया था और उस दौरान उन्होंने तीन माह के अंदर 20 बेड का एनआइसीयू-पीआइसीयू खोलने की घोषणा की थी लेकिन, इसे तैयार होने में 60 माह लग गए। इसके बाद भी दैनिक जागरण ने बच्चों की मौत का मामला लगातार प्रमुखता से उठाते रहा है।
हाल ही में अप्रैल 2022 में फिर से इस मुद्दे को दैनिक जागरण ने उठाया, जिसपर विभाग ने कार्रवाई करते हुए जल्द से जल्द इसे शुरू करने का निर्देश दिया था। अब एमजीएम में नयी एनआइसीयू-पीआइसीयू शुरू हो गई है। इससे नवजातों को बेहतर चिकित्सा मिलेगी और अधिक से अधिक बच्चों की जान बच सकेगी।
पुराने भवन में छह बेड का संचालित हो रहा था NICU
नए भवन में एनआइसीयू-पीआइसीयू शुरू होने से पूर्व पुराने भवन में संचालित होता था, जहां पर मात्र छह बेड थे। जिसके कारण एक-एक वार्मर पर चार से पांच बच्चे को भर्ती किया जाता था। इससे बच्चों में इंफेक्शन फैलने के साथ-साथ बेहतर चिकित्सा भी नहीं मिल पाती थी।
नए एनआइसीयू में मिलेगी यह सुविधाएं
वेंटिलेटर : हर बेड पर एक वेंटिलेटर होगा। इसका उपयोग तब किया जाता है जब रोगी इतने कमजोर या बीमार होते हैं कि खुद सांस भी नहीं ले सकते है। इस दौरान मरीज की स्थिति काफी गंभीर होती है। उन्हें विशेष देखरेख की जरूरत पपड़ती है।
हार्ट मानिटर : हार्ट मानिटर होगा। यह स्क्रीन पर चलने वाली रंगीन रेखाओं के साथ एक टेलीविजन की तरह दिखता है। ये रेखाएं रोगी के दिल की गतिविधि को मापती है। हार्ट मानिटर रोगी से स्टिकी पैड (चिपकने वाले पैड) के द्वारा त्वचा से जुड़ा हुआ होता है।
फीडिंग ट्यूब्स (खिलाने की नली : मरीज सामान्य रूप से खाने में असमर्थ होता है तो उसके नाक में, पेट में बने छोटे कट के माध्यम से या एक नस में ट्यूब के माध्यम से भोजन दिया जाता है.
ड्रैंस और कैथेटर : ड्रैंस शरीर से रक्त या तरल पदार्थ के किसी भी निर्माण को हटाने के लिए उपयोग की जाने वाली ट्यूब होती है. कैथेटर मूत्र को निकालने के लिए मूत्राशय में डाली गई पतली ट्यूब होती है।
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!