
मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का विस्तार किया गया और उसमें 13 नए बेड लगाए गए हैं फिर भी समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। इमरजेंसी वार्ड में अभी भी मरीजों को फर्श पर लेटाकर इलाज करना मजबूरी बनी हुई है। मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम इमरजेंसी विभाग पहुंची तो देखा कि मरीजों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी।
छायानगर निवासी सत्यजीत की सांस फूल रही थी। वह काफी देर तक बेड का इंतजार किए। जब नहीं मिली तो चिकित्सकों ने उनको फर्श ही बैठकर आक्सीजन लगा दिया। इसी तरह, मानगो निवासी गुरुवारी देवी को तेज बुखार था। वह खड़े नहीं हो पा रही थी। इसे देखते हुए उनकी बेटी उनको पकड़ी हुई थी। कुछ देर के बाद उनको भी फर्श पर लेटाकर इलाज शुरू किया गया। इस तरह से इमरजेंसी वार्ड में कई मरीज भर्ती थे।
एक सप्ताह पूर्व ही शुरू हुआ है नया इमरजेंसी
एडीएम नंदकिशोर लाल के प्रयास से एमजीएम अस्पताल में 13 बेड का नया इमरजेंसी विभाग का निर्माण किया गया है जिसका उद्घाटन एक सप्ताह पूर्व ही हुआ है। लेकिन चिंता का विषय यह है कि अभी भी मरीजों को फर्श पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है। मंगलवार को एडीएम नंदकिशोर लाल ने अस्पताल का निरीक्षण भी किया। इसके बाद अधीक्षक डा. रवींद्र कुमार व उपाधीक्षक डा. नकुल प्रसाद चौधरी के साथ बैठक भी किया। एडीएम को शिकायत मिली है कि वार्ड में चिकित्सकों को नहीं होने से मरीजों को इलाज में परेशानी हो रही है। इसे देखते हुए सभी विभागाध्यक्षों की बैठक शुक्रवार को बुलाई गई है।
सप्ताह में दो दिन ही आते मनोचिकित्सक
एमजीएम में मनोरोग विभाग भी संचालित होता है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि डाक्टर साहब सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही आते हैं। बाकी दिन रांची में रहते हैं। जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं, इस मामले को अस्पताल प्रबंधन ने भी गंभीरता से लिया है। एडीएम तक भी इसकी शिकायत पहुंची है।
100 बेड का अस्थायी अस्पताल का सहारा
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि अभी मौसमी बीमारी के मरीज काफी अधिक बढ़ गए हैं। ऐसे में मरीजों को बेड मिलना मुश्किल हो रहा है। इसे देखते हुएकोरोना काल में बने 100 बेड का अस्थायी अस्पताल का सहारा लिया जा सकता है। यह अस्पताल खाली पड़ा हुआ है। अगर इसे चालू नहीं किया गया तो यह खराब हो जाएगा।

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