जिले में टीबी के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। 2021 से 2022 की तुलना की जाए तो एक साल में 1431 मरीज बढ़ गए हैं। वहीं, 2021 से 2020 की तुलना की जाए तो इसमें 946 मरीज बढ़े, लेकिन 2019 से 2020 की तुलना की जाए तो इस दौरान मरीज घटे हैं। 2020 में कोरोना फैला था, इस कारण टीबी मरीजों की खोज नहीं हो पाई थी।
2019 में 3972 टीबी मरीज मिले थे, जबकि 2020 में 796 मरीज कम हो गए। इस साल मात्र 3176 मरीज ही मिले थे। 2023 के तीन माह में अबतक 1135 टीबी मरीज मिल चुके हैं। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. मृत्युंजय धाउड़िया का कहना है कि जांच बढ़ने से टीबी मरीजों की संख्या बढ़ना स्वभाविक है। इस साल विभाग की ओर से 24 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक विशेष अभियान चलाकर टीबी मरीजों की खोज की जाएगी।
34 हजार 584 लोगों की टीबी जांच
विश्व टीबी दिवस से पूर्व जिला यक्ष्मा विभाग ने अपनी उपलब्धि जारी की है। विभाग की ओर से वर्ष 2022 में कुल 42 हजार 636 लोगों की टीबी जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन 34 हजार 584 लोगों का ही जांच हो सकी। यह करीब 81 प्रतिशत है। वहीं, वर्ष 2022 में कुल पांच हजार 946 टीबी मरीजों की पहचान करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें पांच हजार 553 मरीज ही मिल सके। यह करीब 93 प्रतिशत है। 147 एमडीआर टीबी (गंभीर) के मरीज मिले हैं। वर्ष 2021 में टीबी मरीजों का स्वस्थ होने की दर 87 प्रतिशत है।
टीबी मरीजों को मिलती है प्रोत्साहन राशि
जिला यक्ष्मा विभाग की ओर से सभी टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार से लेकर आने-जाने व उसकी देखरेख करने वालों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वर्ष 2022-23 में टीबी मरीजों पर कुल तीन करोड़ 67 लाख 21 हजार 775 रुपये खर्च किया गया है। इसमें पौष्टिक आहार के लिए एक करोड़ 53 लाख 17 हजार रुपये दिया गया है। वहीं, मरीजों के आने-जाने पर हुए वाहन खर्च के रूप में 43 लाख 20 हजार 75 रुपये दिया गया है। जबकि मरीजों को जांच व उनका देखरेख करने वाले कर्मियों को 24 लाख तीन हजार 700 रुपये दिया गया है।
टीबी मरीजों को गोद लेने में मंत्री से लेकर विधायक तक शामिल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील पर टीबी मरीजों को गोद लेने का चलन तेजी से बढ़ा है। इसमें स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से लेकर विधायक मंगल कालिंदी तक शामिल हैं। इसके साथ ही, टाटा स्टील फाउंडेशन ने भी 184 टीबी मरीजों को गोद लिया है। झारखंड में सबसे पहले पूर्वी सिंहभूम के डॉ. विजय मोहन सिंह ने कुल छह मरीजों को गोद लिया था। जिले में कुल 21 लोगों ने मिलकर 378 टीबी मरीजों को गोद लिया है।
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