
झारखंड स्वाभिमान मंच के तत्वावधान में जमशेदपुर के साकची स्थित एक होटल में आज, 7 जनवरी को डॉ. कफील खां की किताब “गोरखपुर अस्पताल त्रासदी” का विमोचन किया गया. इस मौके पर ख़ास तौर डॉ. कफील के साथ प्रेसिडेंट जस्टिस एंड वेलफेयर मूवमेंट असद नूर, झारखंड स्वाभिमान मंच के अध्य्क्ष काशिफ़ रज़ा सिद्दीकी, डॉ. शादाब हसन, मौलाना हाशिम कादरी मिस्बाही और सय्यद खालिद परवेज़ मौजूद थे.
किताब के बारे में
इस मौके पर किताब के मजमून के बारे में तफसील से बयां करते हुए डॉ. कफ़ील ने कहा कि 10 अगस्त’ 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकारी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई।
कथित तौर पर अगले दो दिनों में 80 से अधिक रोगियों – 63 बच्चों और 18 वयस्कों- ने अपनी जान गंवा दी। इसी दौरान कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे कनिष्ठ व्याख्याता डॉ कफील खान ने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करने, आपातकालीन उपचार करने और कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया, ताकि अधिक से अधिक मौतों को रोका जा सके।
नायक से कैसे बन गए सरकार की नज़र में खलनायक ?
जब त्रासदी की खबर सुर्ख़ियों में आई तब खान को संकट की घड़ी में डटे रहने और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर रोशनी डालने के लिए नायक कहा गया, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने खुद को निलंबित पाया और उनके सहित नौ व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और चिकित्सा लापरवाही सहित अन्य गंभीर आरोपों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके तुरंत बाद उन्हें सरसरी तौर पर जेल भेज दिया गया।
यह भी पढ़ें-आयुष्मान कार्ड का सच: लुटे मरीज, फायदे में रहे अस्पताल और बीमा कंपनियां
इस किताब में गोरखपुर अस्पताल त्रासदी कफील खान की अगस्त ’2017 वाली उस भयानक रात की घटनाओं और उसके बाद हुई उथल-पुथल की आपबीती है – अनंत निलंबन, आठ महीने की लंबी कैद और न्याय के लिए एक अथक लड़ाई।
लेखक के बारे में
डॉ. कफील खान का जन्म गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल, कर्नाटक से बाल रोग में एमबीबीएस और एमडी पूरा करने के बाद उन्होंने गांगतोक में सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया। तत्पश्चात उन्होंने एक व्याख्याता के रूप में बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में पदभार संभाला।
मिशन स्माइल फाउंडेशन के बैनर पर कार्य कर रहे हैं
अगस्त’ 2017 के चिकित्सा संकट के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल से निलंबन और गोरखपुर जेल से रिहा होने के बाद से डॉ. कफील अपनी टीम और आम नागरिकों की मदद से मिशन स्माइल फाउंडेशन के बैनर तले काम कर रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा कानून की मांग के लिए सभी के लिए स्वास्थ्य अभियान भी शुरू किया है और भारत के भीतरी इलाकों में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डॉक्टर्स ऑन रोड नाम से एक नई पहल शुरू की है।
कथित रूप से भड़काऊ भाषण के लिए हुए गए थे जेल
जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के लिए खान को फिर से गिरफ्तार किया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोपित किया गया। बाद में उन्होंने सात महीने जेल में बिताए। 1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने NSA के तहत सभी आरोपों को हटा दिया। खान को 9 नवंबर 2021 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा सेवा से निकाल दिया गया और अभी दिसंबर 2021 के दौरान उनके खिलाफ निचली अदालतों में मामले चल रहे हैं- भले ही राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा की गई जांच में उनके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही या भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला है।
सबने किताब की काफी सराहाना की और डॉक्टर कफ़ील के संघर्ष में साथ देने का वादा किया।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp
Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp
Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!